स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दक्षिणी नौसेना कमान (एसएनसी) ने देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी) पोत आइएनएस विक्रांत की झलक पेश की। विक्रांत ने आठ अगस्त को अपना पहला समुद्री परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया था। दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल एके चावला ने कहा कि पांच दिवसीय परीक्षण देश के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण का एक ‘ज्वलंत उदाहरण’ है। उन्होंने कहा, ‘यह सबसे जटिल युद्धपोतों का डिजाइन बनाने और उनके निर्माण की भारतीय नौसेना की क्षमता को प्रदर्शित करता है।’ लगभग 23,000 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित पोत को नौसेना ने ऐतिहासिक बताया है, क्योंकि इसने भारत को अत्याधुनिक विमान वाहक बनाने की क्षमता वाले देशों के चुनिंदा समूह में शामिल कर दिया है।
वरिष्ठ इलेक्ट्रिकल निगरानी अधिकारी कमांडर श्रीजीत ने बताया कि ‘पोत में इस्तेमाल की जाने वाली विद्युत से आधा कोच्चि शहर रोशन हो सकता’ है। उन्होंने कहा कि पोत में उत्पन्न होने वाली बिजली की सटीक जानकारी नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह ‘खुफिया जानकारी’ है। उन्होंने कहा, ‘भेल (भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) सहित सभी प्रमुख विद्युत उद्योगों ने इस पोत के निर्माण में योगदान दिया है। हमने इसमें लगभग 2,600 किलोमीटर लंबी केबल का इस्तेमाल किया है।’ विक्रांत के ‘डिजाइनर’ वास्तुकार मेजर मनोज कुमार ने विमान वाहक संबंधी तथ्यात्मक विवरण साझा किया और कहा, ‘इसमें इस्तेमाल किए गए इस्पात से हम तीन एफिल टावर बना सकते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘पोत में दो ऑपरेशन थिएटर (ओटी) के साथ पूरी तरह से क्रियाशील चिकित्सकीय परिसर है। पोत पर कम से कम 2,000 कर्मियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए एक रसोई है। हमारे पास रसोई में स्वचालित मशीनें हैं। हम हैंगर में 20 विमान खड़े कर सकते हैं।’
युद्धपोत की देखरेख करने वाली टीम का हिस्सा अनूप हमीद ने कहा कि यह एक ‘तैरता द्वीप’ है। उन्होंने कहा, ‘विमान को छोटे रनवे के कारण उड़ान भरने की सुविधा के लिए पर्याप्त बिजली उत्पन्न करने की आवश्यकता होती है और हमें उतरने वाले विमानों को रोकने के लिए एक उचित तंत्र की भी आवश्यकता है।
हमें इसी के अनुरूप बिजली और समन्वय की आवश्यकता है। इस पोत में सब सुविधाएं हैं। यह एक तैरता द्वीप है।’
पत्रकारों ने उन महिला अधिकारियों से भी मुलाकात की, जो उस समूह का हिस्सा हैं जिसने पहला समुद्री परीक्षण किया था। लेफ्टिनेंट कमांडर जेनेट मारिया ने कहा, ‘नौसेना और शिपयार्ड दोनों की कम से कम 25 महिला अधिकारी इस पोत से जुड़ी हैं। उनमें से छह ने समुद्री परीक्षण में हिस्सा लिया है। इनमें से दो महिला अधिकारी नौसेना और चार सीएसएल से हैं।’
कोचीन शिपयार्ड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के सलाहकार सुरेश बाबू ने मीडिया को बताया कि समुद्री परीक्षण ने सीएसएल का कौशल साबित किया। बाबू ने कहा, ‘हमें नौसेना से दो और ऑर्डर मिले हैं। हमें एक पनडुब्बी रोधी युद्धपोत और अगली पीढ़ी के मिसाइल पोत बनाने के आॅर्डर मिले हैं। ये 16,000 करोड़ रुपए के दो नए ऑर्डर हैं।’