उपराष्ट्रपति एम वैंकैया नायडू ने सोमवार(21मई) को कहा कि प्राचीन भारत के शल्य चिकित्सक(सर्जन) प्लास्टिक और मोतियाबिंद की सर्जरी करने में भी सक्षम थे।उन्होंने अपने शोध से यह गुण विकसित किया था। केरल के आदि शंकराचार्य इंस्टीटट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग में पुरस्कार वितरण के बाद वेंकैया नायडू ने संबोधन के दौरान ये बातें कहीं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन समय में ही हम जानते थे कि कैसे जस्ता गलाकर स्टील की मिश्र धातु बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत के वैज्ञानिकों, गणतिज्ञों, चिकित्सकों, खगोलविदों और नवप्रवर्तकों( इनोवेटर्स) ने मानव ज्ञान को काफी समृद्ध किया था।इसी वजह से उस वक्त के प्राचीन सर्जन जटिल सर्जरी करने में सक्षम थे। आज की तरह पहले भी प्लास्टिक सर्जरी से ले लेकर मोतियाबिंद के ऑपरेशन पुराने जमाने में भी करने में चिकित्सक सक्षम थे।

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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू। (पीटीआई फाइल फोटो)

उपराष्ट्रपति ने कहा कि सकल राष्ट्रीय आय के साथ-साथ इस बात पर भी ध्यान केंद्रित होने चाहिए कि कैसे विज्ञान और प्रौद्यौगिकी जीवन में खुशहाली और जीने की गुणवत्ता बढ़ाएं।उन्होंने युवाओं को देश की सर्वोत्तम परंपराओं से प्रेरणा लेकर देश निर्माण की बात कही।उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा-पूछताछ की भावना, प्रश्न और शोध करने तथा सत्य तक पहुंचने की क्षमता के कारण हमारे देश में मानव ज्ञान का विकास हुआ है।