Kolkata Rape-Murder Case: कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में एक डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले से पूरे देश में आक्रोश है। अब इस मामले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी बयान दिया है। सभापति ने कहा कि कोलकाता जैसी घटनाएं पूरी सभ्यता को शर्मसार कर देती हैं। जब मानवता शर्मसार होती है, तो कुछ छिटपुट आवाजें आती हैं। ऐसी आवाजें जो चिंता का कारण बनती हैं। वे केवल हमारे दर्द को बढ़ाती हैं। इसे हल्के में कहें तो वे हमारी घायल अंतरात्मा पर नमक छिड़क रहे हैं।

AIIMS ऋषिकेश में छात्रों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि कोलकाता वाले मामले को कुछ लोग इसे आम बात बता रहे हैं। धनखड़ ने कहा कि ऐसी टिप्पणियां हमारे दर्द को और बढ़ाती हैं और हमारी घायल अंतरात्मा पर नमक छिड़कती हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस तरह के शैतानी विचारों के लिए कोई बहाना नहीं हो सकता। मैं ऐसे गुमराह लोगों से आग्रह करता हूं कि वे अपने विचारों पर दोबारा विचार करें और सभी लोगों से माफी मांगे। यह ऐसा मौका नहीं है, जहां आपको राजनीतिक चश्मे से देखना चाहिए। यह राजनीतिक चश्मा खतरनाक है।

एनजीओ की चुप्पी पर भी साधा निशाना

कुछ एनजीओ को लेकर भी उपराष्ट्रपति ने उनको निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा कि घटना के बाद सड़क पर उतरे कुछ एनजीओ चुप्पी साधे हुए हैं। हमें उनसे सवाल करना चाहिए। उनकी चुप्पी 9 अगस्त की इस घटना से भी ज्यादा खतरनाक हैं। जो लोग राजनीति और ब्राउनी पॉइंट खेलना चाहते हैं, एक-दूसरे को पत्र लिखते रहते हैं, वे अपनी अंतरात्मा की आवाज का जवाब नहीं दे रहे हैं।

कोलकाता केस: लेडी डॉक्टर केस की जांच को उलझा रहे संदीप घोष? 15 दिन की पूछताछ के बाद भी CBI खाली हाथ

डॉक्टर भगवान के बाद दूसरे नंबर पर- जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति ने डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर एक लिमिट तक ही किसी पेसेंट की मदद कर सकता है। एक डॉक्टर खुद को भगवान नहीं बना सकता है। वह भगवान के बाद दूसरे नंबर पर आता है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों, नर्सों और कंपाउंडरों की सुरक्षा भी मजबूत होनी चाहिए। उन्होंने एक तंत्र बनाने पर भी खास जोर दिया।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि जो कुछ भी हुआ, वह जवाबदेही के दायरे में ही आएगा, लेकिन समाज भी कुछ हद तक जिम्मेदार है। समाज अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकता है। मैं इसे सरकार या राजनीतिक दलों का मामला नहीं बनाना चाहता हूं। यह समाज का मामला है और हम सभी के अस्तित्व को चुनौती है। इसने हमारे अस्तित्व की नींव को पूरा हिलाकर रख दिया है।