Vice President Election 2025: जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से दिए गए इस्तीफे के चलते देश के उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नौ सितंबर यानी मंगलवार को वोटिंग होगी और उन्होंने शाम तक रिजल्ट आने की संभावना है। इस चुनाव के लिए एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है, जबकि विपक्ष की तरफ से इंडिया गठबंधन बी सुदर्शन रेड्डी मैदान में हैं।
चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले गुरुवार को चुनावी प्रक्रिया की निगरानी के लिए अतिरिक्त सचिव स्तर के दो वरिष्ठ अधिकारियों को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। अब आपके लिए यह जानना अहम है, कि भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव कैसे होता है, कौन वोट डालता है? अगर किसी पार्टी के सदस्य ने विपक्षी दल के उम्मीदवार को वोट दे दिया तो क्या उस पर कार्रवाई भी हो सकती है?
कब होगी वोटिंग और कब आएगा रिजल्ट?
उपराष्ट्रपति चुनाव की वोटिंग के लिए चुनाव आयोग ने राज्यसभा के महासचिव पीसी मोदी को रिटर्निंग ऑफिसर बनाया गया है। उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए मतदान संसद भवन के कमरा नंबर एफ-101, वसुधा में मंगलवार की सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक होगा। वोटिंग खत्म होने के एक घंटे बाद यानी शाम छह बजे वोटों की गिनती शुरू होगी और फिर विजयी उम्मीदवार का ऐलान कर दिया जाएगा।
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कौन-कौन डाल सकता है वोट?
उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में वोट डालने वालों की बात करें तो संसद के दोनों सदन, राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य वोट डालेंगे और इसके साथ ही राज्यसभा के नामित सदस्य भी वोटिंग कर सकते हैं। इस बार उपराष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य, राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य और लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य हैं। निर्वाचक मंडल में कुल 788 सदस्य है, जो कि फिलहाल वर्तमान में 781 हैं।
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कैसे होता है उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान
उपराष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग प्रोसेस की बात करें, इसके लिए मतदान गुप्त तरीके से सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम (STVS) के जरिए होता है। मतदान के लिए जारी मतपत्र सफेद रंग के होते हैं, जिसमें दो कॉलम रहते है। इसमें से एक कॉलम में हिंदी और इंग्लिश में उम्मीदवारों के नाम और दूसरे कॉलम में वोट देने के लिए जगह खाली रहती है। खाली जगह पर वोटरों को अपनी प्राथमिकता 1 के रूप में दर्ज करनी होती है। इसी के जरिए मतदाता सांसद अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हैं।
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कैसे होती है वोटों की गिनती
वोटिंग के प्रोसेस की बात करें तो इसमें सबसे पहले वैध मत छांटे जाते हैं। वैध मतों में पहली प्रायोरिटी वाले वोटों की सबसे पहले गिनती होती है। अगर किसी उम्मीदवार को कुल वैध मतों में से 50% से अधिक वोट मिल जाते हैं, तो उसे विजयी मान लिया जाता है। इसके विपरीत अगर पहले राउंड में किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिलता तो सबसे कम वोट वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है।
ऐसे प्रत्याशी के वोटों को अगली प्राथमिकता के अनुसार दूसरे उम्मीदवारों को ट्रांसफर किया जाता है और यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है, जब तक किसी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिल जाता है, तब तक इस प्रक्रिया का पालना किया जाता है।
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