गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार मामले में गुरुवार (2 मई) को विशेष अदालत ने फैसला सुनाते हुए 24 लोगों को दोषी और 36 बेगुनाह करार दिया है। यह फैसला 14 साल बाद आया है। दोषियों को 6 जून को सजा सुनाई जाएगी। कोर्ट परिसर में 66 आरोपियों  में से 59 मौजूद थे। छह आरोपियों की मौत हो चुकी हैं और एक पिछले तीन महीने से फरार है। अदालत ने नरसंहार के बाद लापरवाही बरतने के आरोपी पुलिस अधिकारी केजी इरडा को दोषमुक्‍त करार दिया है।

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इस नरसंहार में 28 फरवरी 2002 को हजारों की हिंसक भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी पर हमला कर दिया था। हादसे में 69 लोग मारे गए थे, जिनमें पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी भी शामिल थे। 39 लोगों के शव बरामद हुए थे और 30 लापता लोगों को सात साल बाद मृत मान लिया गया था।

कोर्ट के अंदर और बाहर भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया था। अहमदाबाद की डिटेंशन ऑफ क्राइम ब्रांच की एक टीम अदालत के भीतर सुरक्षा की जिम्‍मेदारी संभाल रही थी। जबकि कोर्ट के बाहर दर्जन पर पुलिसवाले तैनात किए गए थे। अधिकारियों के अनुसार, जज पीबी देसाई की निजी सुरक्षा भी बढ़ाई गई है।

गोधरा कांड के ठीक एक दिन बाद यानी 28 फरवरी, 2002 को 29 बंगलों और 10 फ्लैट वाली गुलबर्ग सोसायटी पर हमला किया गया। गुलबर्ग सोसायटी में सिर्फ एक पारसी परिवार के अलावा बाकी सभी मुस्लिम रहते थे। पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी का मकान भी इस सोसाइटी में था। उनकी पत्‍नी जकिया जाफरी अब इस केस की पहचान बन चुकी हैं।

इस मामले में 66 आरोपी थे। इनमें भाजपा के असारवा के काउंसलर बिपिन पटेल भी हैं। इस मामले के 6 आरोपियों की ट्रायल के दौरान मौत हो गई है। आरोपियों में से 9 अब भी जेल में हैं जबकि अन्य सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं। इस मामले में 338 से ज्यादा गवाहों की गवाही हुई है। सितंबर 2015 में इस मामले का ट्रायल खत्म हुआ था।