राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मंदिर तोड़ने के मामले में वसुंधरा सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज कर दिया है। संघ ने इस मसले पर भाजपा और सरकार के तमाम वादों को धता बता दिया है। संघ के अड़ जाने से वसुंधरा सरकार की स्थिति अटपटी होती जा रही है। दूसरी तरफ संघ से जुड़े संगठनों ने मंगलवार को वाहन रैलियां निकाल कर अपनी ताकत भी दिखाई। इसके साथ ही शहर के भाजपा विधायकों और नेताओं में संघ की नाराजगी से बेचैनी भी पनप गई है।

आरएसएस के नौ जुलाई को होने वाले प्रस्तावित चक्का जाम आंदोलन को रोकने के भाजपा और सरकार के सभी प्रयास नाकाम हो गए हैं। भाजपा शासन में शहर के प्राचीन मंदिरों को तोड़ने से संघ की नाराजगी के बाद सरकार में मंगलवार को भी हड़कंप मचा रहा। संघ ने आंदोलन करने के लिए मंदिर बचाओ संघर्ष समिति बना दी है। समिति के एलान पर मंगलवार को जयपुर शहर के तमाम हिस्सों में वाहन रैली निकाली गई। इसके जरिए नागरिकों को नौ जुलाई के आंदोलन में हिस्सा लेने की अपील की गई। आंदोलन में शामिल होने के लिए संत समाज भी आगे आ गया है।

संघ के वरिष्ठ प्रचारकों के निर्देश पर शाखा स्तर के साथ ही हर हिस्से में चौराहों पर जाम लगाने के लिए संयोजक तैनात कर दिए गए है। इसमें कई भाजपा विधायकों और पार्षदों को भी जिम्मेदारी दी गई है। जयपुर के तीन विधायक तो कैबिनेट मंत्री हैं और एक विधायक प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी हैं। इन सभी के सामने विचित्र स्थिति हो गई है। इनको अब संघ के निर्देश पर अपनी ही सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरना पड़ेगा।

संघ के आंदोलन को टालने के लिए मंगलवार को दिन भर भाजपा और सरकार के लोग सक्रिय रहे। प्रदेश भाजपा के लिए तैनात किए गए राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री वी सतीश ने भी सरकार और संघ के लोगों से संपर्क साधा।

संघ ने सतीश को साफ कह दिया कि सरकार की कार्यशैली को लेकर नागरिकों में गहरा आक्रोश है। मंदिरों को तोड़ने से तो हिंदू जनता खासी नाराज है। सरकार की जानकारी में भी यह सब था। जनता को लगता है कि भाजपा के शासन में ही मंदिरों को धाराशायी किया जाएगा तो फिर किसी अन्य शासन से क्या उम्मीद की जा सकती है। संघ को संतुष्ट करने के लिए बताया गया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को इस तरह की कार्रवाई की जानकारी नहीं थी। जयपुर के अफसरों ने उन्हें गलत जानकारी देकर भुलावे में रखा। सरकार दोषी अफसरों को हटाने के लिए तैयार है।

सूत्रों का कहना है कि सरकार अब जयपुर विकास प्राधिकरण के आयुक्त, कलेक्टर और जयपुर मेट्रो के सीएमडी को हटाने की तैयारी कर रही है। इसके साथ ही सरकार को उम्मीद है कि सरकार की परेशानी को देख कर संघ अपना आंदोलन टाल देगा।

भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी और नरपत सिंह राजवी संघ के आंदोलन से पूरी तरह जुड़ गए हैं। उन्होंने मंदिर तोड़े जाने पर वसुंधरा सरकार के प्रति गहरी नाराजगी जताई है। राजवी ने तो मुख्यमंत्री को लिखे पत्र के जरिए साफ तौर पर कहा कि जन भावनाओं से जुड़े मामलों पर सरकार जनप्रतिनिधियों से कोई राय नहीं लेती है। इससे पार्टी की छवि खराब होने के साथ जनाधार खत्म होने लगा है।

जनप्रतिनिधियों की राय लेने की प्रक्रिया को तो वर्तमान में खत्म ही कर दिया गया है। संघ के साथ ही मूल भाजपा के लोग मौजूदा सरकार की कार्यशैली से बहुत खफा हो गए हैं। भाजपा के पुराने कार्यकर्ताओं में इस बात से भी नाराजगी है कि मौजूदा सरकार में बाहरी लोगों का खासा दबदबा होने से पार्टी और संघ की विचारधारा खत्म होती जा रही है।