बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर एक मुस्लिम व्यक्ति की नियुक्ति पर हंगामा मचा हुआ है। इस नियुक्ति के खिलाफ संबंधित डिपार्टमेंट के रिसर्च स्कॉलर्स और अन्य छात्रों ने वाइस चांसलर के आवास के सामने धरना दिया और नारेबाजी की। मुस्लिम असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति बीएचयू के ‘संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान’ (SVDV) संकाय के साहित्य विभाग में हुई है।  डिपार्टमेंट के छात्र इस नियुक्त को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

वहीं, बीएचयू प्रशासन का कहना है कि नियुक्ति पूरी पारदर्शी प्रक्रिया के तहत हुई है, लिहाजा इसमें कोई फेरबदल की गुंजाइश नहीं है। बीएचयू प्रशासन के मुताबिक, “असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति ‘यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन’ (UGC) के नियम एवं गाइडलाइंस के मुताबिक हुई हैं। इसमें बीएचयू एक्ट के तहत पारदर्शी तरीके से उम्मीदवार की पात्रता तय की गई है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शनकारियों ने बीएचयू के कुलपति राकेश भटनागर को लिखे पत्र में डिपार्टमेंट को सनातन हिंदू सभ्यता के सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक पहलुओं पर चर्चा का केंद्र बताया है। उन्होंने कहा है कि स्वयं विश्वविद्यालय के संस्थापक स्वर्गीय पंडित मदन मोहन मालवीय ने इसे विश्वविद्यालय का ह्रदय करार दिया था। उन्होंने अपने पत्र में कहा है, “संकाय पर लगी पत्थर की प्लेट में बताया गया है कि यह संस्था सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक बहस और सनातन हिंदुओं और उनकी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष शाखाओं जैसे आर्य समाज, बौद्ध, जैन, सिख आदि के लिए है।”

प्रदर्शनकारियों ने इसके पीछे साजिश की बात कही है। उनका कहना है कि तमाम तथ्यों को जानने के बावजूद एक गैर- हिंदू शख्स की नियुक्ति कर दी गई है। छात्रों की मांग है कि यह नियुक्ति संस्था की आत्मा के खिलाफ है, लिहाजा इसे तुरंत रद्द कर देनी चाहिए।

मीडिया को दिए साक्षात्कार में बीएचयू के प्रवक्ता राजेश सिंह ने कहा कि नियुक्ति एसवीडीवी के साहित्य विभाग में एक इंटरव्यू के बाद की गई है। यह नियुक्ति यूजीसी और बीएचयू एक्ट के मुताबिक है और यहां जाति और पंथ के आधार पर कोई भेद-भाव नहीं है। उन्होंने कहा कि नियुक्ति पूरी पारदर्शी तरीके से की गई है और इसका आधार सिर्फ पात्रता है।