देश में इस वक्त राष्ट्रगान का मुद्दा गरमाया हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म के दौरान राष्ट्रगान बजाना जरूरी किया है और साथ ही कहा है कि उसपर खड़ा होना जरूरी है। लेकिन इससे उलट उसी सुप्रीम कोर्ट ने एक परिवार को राष्ट्रगान ना गाने की छूट दी हुई है। यह छूट उस परिवार को तीस साल पहले मिली थी जो अबतक कायम है। यहां बात हो रही है वी जे इमेनुल के परिवार की। वी जे इमेनुल और उनका परिवार Jehowah’s Witnesses (ईसाई धर्म) को मानता है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कह दिया था कि वे लोग गॉड के अलावा किसी की प्रार्थना करने को तैयार नहीं था।

इमेनुल का परिवार केरल में रहता है। इमेनुल के सात बच्चे हैं जिनमें से तीन 1985 में केरल के ही एनएसएस हाई स्कूल में पढ़ते थे। वे तीनों राष्ट्रगान के दौरान खड़े तो होते थे लेकिन गाते नहीं थे। इसपर स्कूल में कुछ ही दिनों के अंदर बवाल को गया था। बाद में उन तीनों के अलावा Jehowah’s Witnesses के राष्ट्रगान ना गाने वाले सभी बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया था। बवाल इतना बढ़ गया कि कांग्रेस के विधायक वीसी कबीर ने उसे राज्य की विधान सभा में भी उठा दिया था। बच्चों पर राष्ट्रगान का अपमान करने का आरोप लगा था। जांच के लिए कमेटी बनी हालांकि उसमें अंत तक कुछ साबित नहीं हो पाया। बाद में कमेटी ने कहा कि तीनों को लिखित में देना होगा कि वे आगे से राष्ट्रगान गाएंगे।

लेकिन इमेनुल उस पर राजी नहीं थे। वह हाई कोर्ट गए। लेकिन वहां पर दो बार उनकी अर्जी ठुकरा दी गई। अंत में वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। 1986 में वह Bijoe Emmanuel v/s State of Kerala केस को जीत गए। कोर्ट ने कहा, ‘इस वक्त हम कह सकते हैं कि ऐसा कहीं लिखा नहीं है कि राष्ट्रगान बजने के दौरान उसे गाना जरूरी है। अगर कोई उसके सम्मान में खड़ा हो जाता है तो उतना बहुत है।’

लेकिन अब इमेनुल परिवार का जिक्र फिर से हुआ है। अटोर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की है कि वह इमेनुल परिवार को दी गई छूट वाले फैसले पर फिर से विचार करे और स्कूल से ही बच्चों को राष्ट्रगान का आदर करने की प्रेरणा दे। केस की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होनी है।