उत्तरकाशी में टनल में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए हर तरह प्रयास किया जा रहा है। विदेशी तकनीक पर भी कई दिनों तक निर्भर रहा गया, लेकिन अब अंत में फिर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा दिए गए हैं। ऐसे में जो काम अमेरिका की ऑगर मशीन से नहीं हो पा रहा था, उसे अंजाम देने के लिए भारतीय सेना की एक विशेष टुकड़ी को उत्तरकाशी बुला लिया गया है। ये रेजिमेंट अब अपने दम पर मजदूरों को निकालने के लिए बड़ा ऑपरेशन चलाने जा रही है।

सेना क्या करने वाली है?

अभी तक ये खबर तो कई बार आ चुकी है कि मलबे को हटाने के लिए मैन्यूअल ड्रिलिंग का सहारा लिया जा सकता है। अब बताया जा रहा है कि इस काम को पूरा करने के लिए भारतीय सेना की मदद ली जाएगी। उनकी इंजीनियरिंग की जो कोर टीम होती है, उसकी सहायता से अब मैन्यूअल ड्रिलिंग को आगे बढ़ाया जाएगा। इसी कड़ी में इंजीनियरिंग रेजीमेंट मद्रास इंजीनियर ग्रुप (MEG) की एक टुकड़ी सिलक्यारा पहुंच चुकी है और अब मजदूरों को निकालने पर सारा फोकस जमाया जा रहा है।

बेस्ट विकल्प कौन सा है?

जानकारी मिली है कि सेना के कुल 30 जवान फुल स्पीड से मैन्यूअल ड्रिलिंग करने जा रहे हैं। इस काम में लोकल लोगों का भी साथ मिलने वाला है, हथौड़ी-छेनी के सहारे सुरंग को खोदा जाएगा। अब कहने को इस मिशन को भी हरी झंडी दिखाई गई है, लेकिन रेस्क्यू टीम अभी भी हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग को ही ज्यादा कारगर मान रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि 40 मीटर से ज्यादा का रास्ता साफ किया जा चुका है, मजदूर कुछ ही दूर पर फंसे हुए हैं। ऐसे में अगर समय रहते ऑगर मशीन के टुकड़े बाहर निकाल लिए गए तो इस विकल्प को अभी भी सबसे ज्यादा तवज्जो दी जा रही है।

6 रेस्क्यू के प्लान

वैसे रेस्क्यू टीम के पास इस समय कुल 6 प्लान तैयार दिख रहे हैं। इसमें वर्टिकल ड्रिलिंग, बरकोट छोर से ड्रिलिंग, साइड वे ड्रिलिंग शामिल हैं। इसके अलावा ड्रिफ्ट तकनीक का भी जिक्र किया गया है। यानी कि विकल्प कई मौजूद हैं, लेकिन जानकारों के मुताबिक अभी भी टीम हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग के लिए ही जाने वाली है क्योंकि सबसे कम समय उसी से लगेगा।