कई एजेंसियों ने आशा और निराशा के बीच लगभग 17 दिन चले बचाव अभियान के तहत सिल्कयारा सुरंग में फंसे सभी मजदूरों को बाहर निकाल लिया। सुरंग से सफलतापूर्वक बचाए गए 41 श्रमिकों की चिकित्सा जांच चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में की जा रही है। श्रमिकों को अब चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 24 घंटे चिकित्सा निगरानी में रखा जा रहा है, जहां 41 बिस्तरों का एक अलग वार्ड बनाया गया है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि डॉक्टरों की सिफारिश पर आगे की रणनीति तय की जाएगी। धामी ने कहा, “चूंकि फंसे हुए श्रमिक अभी बहुत ही असामान्य माहौल से बाहर आए हैं इसलिए उन्हें अभी निगरानी में रखा जाएगा और डॉक्टरों की सिफारिशों के आधार पर हम आगे की कार्रवाई तय करेंगे।” सीएम ने पुष्टि की कि उनमें से किसी को भी कोई चिकित्सीय समस्या नहीं है और सभी का स्वास्थ्य अच्छा है। उन्होंने कहा कि स्ट्रेचर की उपलब्धता के बावजूद किसी भी कर्मचारी ने उनका उपयोग नहीं किया बल्कि बचाव पाइपों के माध्यम से रेंगते हुए बाहर आए।
मजदूरों के स्वास्थ्य पर रखी जाएगी नजर
सिल्कयारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के बाहर निकलने के बाद एम्स, ऋषिकेश के डॉक्टर अब उनके सामने आने वाली किसी भी स्वास्थ्य समस्या का ध्यान रखेंगे। चूंकि, मजदूर एक बंद जगह पर कैद में थे, भोजन, शुद्ध हवा की कमी में कई मजदूर एक साथ रह रहे थे, ऐसे में डॉक्टर कमजोरी और डीहाइड्रेशन के लक्षणों पर ध्यान देंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि सही साफ-सफाई के बिना ऐसी स्थितियों में संक्रमण फैलने की संभावना रहती है। लेकिन सबसे बड़ी चिंता पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस ऑर्डर (PTSD) होने की संभावना है, जिसपर सावधानीपूर्वक निगरानी की आवश्यकता होती है।
48 घंटे तक निगरानी में रहेंगे मजदूर
एम्स-ऋषिकेश की निदेशक डॉ मीनू सिंह ने कहा कि मजदूरों को मामूली ऑर्थोपेडिक चोटों की आशंका है। उन्होंने कहा, ”जब हम उन्हें देखेंगे तो हमें पता चलेगा लेकिन हम हर चीज के लिए तैयार हैं।” उन्होंने कहा कि तनाव की जांच करने और सहायता प्रदान करने के लिए श्रमिकों को अस्पताल में कम से कम 48 घंटे तक निगरानी में रखा जाएगा। डॉ. सिंह ने कहा कि अपने परिवारों से मिलने के बाद उनके बेहतर महसूस करने की संभावना है।