Uttarakhand Tunnel Accident: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन 9वें दिन भी जारी है। केन्द्रीय मंत्री नितिन गड़करी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पूरे हालात पर नजर बनाए हुए हैं। जानकारी के मुताबिक रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने में अभी दो से अधिक का समय और लग सकता है। बता दें कि 12 नवंबर को दिवाली के दिन निर्माणाधीन सुरंग का सिलक्यारा की ओर से मुहाने से 270 मीटर अंदर करीब 30 मीटर का हिस्सा ढह गया था और तब से 41 श्रमिक उसके अंदर फंसे हुए हैं। इन्हें निकालने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहा हैं। अब रेस्क्यू टीम 6 विकल्पों पर काम कर रही है।
‘वर्टिकल’ ड्रिलिंग की हो रही तैयारी
मजदूरों को निकालने के लिए सुरंग के ऊपर से ‘वर्टिकल’ ड्रिलिंग की तैयारी की जा रही है। सुरंग के अंदर मजदूर ऐसे स्थान पर फंसे हुए हैं जहां उनके लिए खुला स्थान, बिजली, खाना, पानी और ऑक्सीजन मौजूद हैं। हालांकि अब खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। कुछ मजदूरों ने बीमार होने की भी शिकायत की है। प्रदेश के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि सुरंग में ड्रिलिंग कर उसमें पाइप डालने के लिए आगर मशीन को फिर शुरू करने की तैयारियां चल रही हैं। इसके अलावा फंसे हुए लोगों को खाना पहुंचा रहे पाइप के अतिरिक्त एक और बड़े व्यास का पाइप मलबे में 42 मीटर अंदर तक डाल दिया गया है जिससे उन तक जरूरी चीजें पहुंचाई जा सकें।
इन 6 विकल्पों पर किया जा रहा काम
- मलबे के बीच 900 मिमी पाइप डालकर और सुरंग के आकार का रास्ता बनाकर मजदूरों को निकाला जाए। यह प्रयास सुरंग की छत को मजबूत करने पर केंद्रित है।
- ऊंट के आकार के पहाड़ की चोटी में ऊर्ध्वाधर ड्रिलिंग की जाए। इससे मलबे के पीछे एक रास्ता बनाया जाए।
- सुरंग के दाईं ओर से क्षैतिज ड्रिलिंग शामिल है। इससे मलबे के पीछे खुलने वाला एक और रास्ता बनाया जाए।
- सुरंग के बाईं ओर से क्षैतिज ड्रिलिंग की जाए।
- पोलगौन प्रवेश द्वार से सुरंग की खुदाई में तेजी जाई जाए। यह सिल्क्यारा और पोलगॉन छोर के बीच बाकी 450 मीटर के खंड पर ध्यान केंद्रित करती है।
- आखिरी योजना में छत के मलबे और चट्टानों के बीच एक आपूर्ति लाइन स्थापित करना शामिल है। शुरुआती जांच में खुले स्थानों की पहचान करने के लिए माइक्रो-ड्रोन कैमरों का उपयोग किया जा रहा है।