उत्तरकाशी टनल हादसे की चुनौतियां हर बीतते दिन के साथ और ज्यादा बढ़ती जा रही हैं। पहले जिस रेस्क्यू को दो से तीन दिनों में पूरा करने की बात हो रही थी, अब सीधे वो तारीख 15 दिन आगे बढ़ चुकी है। बताया जा रहा है कि ऑगर मशीन के जरिए काफी ड्रिलिंग की तो गई, लेकिन अब उसमें भी तकनीकी खराबी आ चुकी है। इस समय रेस्क्यू टीम अब हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग के जरिए मिशन को आगे बढ़ाने जा रही है।

रेस्क्यू टीम से जानिए, क्या है तैयारी

असल में सिल्कयारा सुरंग बचाव अभियान पर अतिरिक्त सचिव तकनीकी, सड़क और परिवहन महमूद अहमद ने कहा कि हमें उम्मीद है कि अगले दो दिन बाद से यानी 28 नवंबर से इसकी ड्रिलिंग शुरू होगी। यह एक लंबी प्रक्रिया है, हमारे पास 15 दिनों का लक्ष्य है, हम एक ड्रिफ्ट टनल भी बनाना चाहते हैं, डिजाइन बना लिया गया है और मंजूरी दे दी गई है। हम इन विभिन्न पक्षों पर काम कर रहे हैं, बड़कोट की ओर से ड्रिलिंग करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

बयान में ये भी कहा गया है कि हमने कल से 2-3 और विकल्पों पर काम करना शुरू कर दिया है। हमने SJVNL को हमारे लिए 1-1.2 मीटर व्यास की वर्टिकल ड्रिलिंग करने के लिए कहा है। हमने उन स्थानों की पहचान की है जहां से बेहतर ड्रिलिंग हो सकती है… लगभग 15 मीटर की ड्रिलिंग हो चुकी है। हमने एक जगह की पहचान की है जहां से हमारा अनुमान है कि कुल 86 मीटर की ड्रिलिंग होनी है। यह अगले 2 दिनों में पूरी हो जाएगी।

सबसे बड़ी चुनौती क्या?

वैसे इस समय सुरंग के प्रवेश द्वार पर लगातार रिस रहे पानी ने भी सभी को चिंता को बढ़ा दिया है। ये अलग बात है कि रेस्क्यू टीम इसे एक सामान्य घटना मान रही है और इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दे रही है। पहली प्राथमिकता उस ऑगर मशीन को काटने पर दी जा रही है जो सुरंग में ही फंस चुकी है। ये समझना जरूरी है कि इसी अमेरिकी मशीन ने टनल में काफी दूर तक ड्रिलिंग का काम पूरा किया है। लेकिन अब वो मशीन टनल में फंस चुकी है, लगातार आ रहे सरियों ने उसकी चुनौती को बढ़ा दिया है।

प्लान A…प्लान B और प्लान C

इसी वजह से अब तीन प्लान पर काम किया जा रहा है। पहले प्लान के तहत मैन्युल ड्रिलिंग की जाएगी। इसके जरिए ना सिर्फ मलबे को हटाया जाएगा, बल्कि ऑगर मशीन के उन हिस्सों को भी बाहर निकाला जाएगा जो अभी टनल में फंसे हुए हैं। प्लान बी वर्टिकल ड्रिलिंग को लेकर है जहां पर पहाड़ के ऊपर ही 82 मीटर की खुदाई की जाएगी। इस काम में भी एक मशीन का इस्तेमाल होगा जिसका प्लेटफॉर्म तैयार कर दिया गया है। तीसरे प्लान की बात करें तो रेस्क्यू टीम बड़कोट छोर से भी खुदाई कर रही है। वहां से ड्रिलिंग करने में 12 से 13 दिन लग सकते हैं।