Uttarkashi Tunnel Accident: बंगाल के एक निर्माण श्रमिक राजीव दास अपनी रात की पाली के बाद अपने कमरे में प्रवेश करने ही वाले थे कि उनके एक सहकर्मी ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया। उन्हें यह समझने में लगभग एक मिनट लग गया कि सुरंग का एक हिस्सा जहां वह कुछ मिनट पहले तक काम कर रहे थे, ढह गया है, जिसमें उनके कुछ सहकर्मी फंस गए हैं।

हादसे से बचे लोग सुरंग से लगभग 300 मीटर की दूरी पर थे

जल्द ही, हर कोई तेजी से बचाव अभियान पर निकल पड़ा। दास ने कहा, “हम सभी अपने अस्थायी निवास से लगभग 300 मीटर दूर सुरंग के प्रवेश द्वार की ओर दौड़े। कुछ लोग जेसीबी ड्राइवरों को खोजने गए, और अन्य लोग रात की पाली में अपने दोस्तों को खोजने गए। शुरू में हमने सोचा कि यह एक छोटी सी दुर्घटना हो सकती है, और हम जैसे भी कर सकते थे, मलबा हटाना शुरू कर दिया। लेकिन जल्द ही, हमें एहसास हुआ कि यह एक चुनौतीपूर्ण खोज और बचाव (मिशन) है।”

10-20 लोग सुरंग के मुहाने पर काम कर रहे थे

उन्होंने याद किया कि वहां लगभग 50-60 कर्मचारी थे जिनमें से लगभग 10-20 निकास द्वार के करीब काम कर रहे थे। इसलिए शिफ्ट खत्म होने के तुरंत बाद वे बाहर निकल गए। जो लोग फंस गए वे 40 लोग अंदर थे। फंसे हुए लोगों में से 15 झारखंड से, आठ उत्तर प्रदेश से, पांच ओडिशा से, चार बिहार से, 3 पश्चिम बंगाल से, 2-2 उत्तराखंड और असम से और एक हिमाचल प्रदेश से है।

दास ने कहा, “यह विचार मेरे मन से नहीं जाता कि यह मैं ही हो सकता था। हम ठीक उसी स्थान पर काम कर रहे थे जहां हादसा हुआ था।” कर्मचारियों की 12 घंटे की शिफ्ट होती है जो हर 15 दिन में बदलती है। रात की पाली वालों को मंगलवार से दिन की पाली शुरू करनी थी।

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बचाव कार्य में लोगों का कहना है कि सभी लोग सुरक्षित हैं और उन्हें जल्द ही बाहर निकाल लिया जाएगा। हालांकि पिछले 40-42 घंटे से वे सभी लोग अंदर ही एक ही जगह पर बैठे हुए हैं और ईश्वर से जिंदगी की दुआ मांग रहे हैं।

निर्माण की मजबूती को लेकर आशंकाएं थीं। दास ने कहा, “पिछले दो-तीन दिनों से हम महसूस कर रहे हैं कि शायद ढांचा बहुत मजबूत नहीं है। एक दिन पहले ही जब हम जालीदार गार्डर हटा रहे थे, तो हमने कुछ मलबा गिरते देखा। शनिवार रात छत से कंक्रीट का टुकड़ा गिर गया। हमने अपने सीनियरों को सूचित किया। लेकिन इससे पहले कि वे कुछ कर पाते, घटना घट गई।”

सुरंग बनाने वाली कंपनी नवयुग इंजीनियरिंग के मैकेनिकल फोरमैन शशि चौहान ने कहा कि अंदर फंसे लोग शुरू में घबरा गए। उन्होंने कहा, “लेकिन आधी रात के आसपास लगातार संचार स्थापित होने और भोजन उपलब्ध कराए जाने के बाद, उन्हें आराम महसूस हुआ। अंदर पर्याप्त रोशनी और जगह है। उनके पास वॉकी-टॉकी और अतिरिक्त बैटरी भी हैं।”

सचिव (आपदा प्रबंधन) रंजीत सिन्हा ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड और ठेकेदारों को फंसे हुए लोगों के परिवारों को सूचित करने का निर्देश दिया है कि स्थिति नियंत्रण में है और कर्मचारी सुरक्षित हैं।