Uttarakhand Tunnel Rescue: उत्तरकाशी टनल में चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में पिछले 12 दिनों से सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए विभिन्न एजेंसियों का काम बुधवार को अंतिम चरण में पहुंच गया। टनल के अंदर पाइप डाला जा रहा है। रेस्क्यू में 3-4 घंटे और लगेंगे। बुधवार को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) टीम के कर्मी उत्तरकाशी सुरंग में दाखिल हुए। श्रमिकों के बाहर निकलने के लिए एंबुलेंस को तैयार रखा गया है और चिकित्सकों को घटनास्थल पर बुला लिया गया है। देर शाम के घटनाक्रम में, मलबे के बीच से स्टील पाइप की ड्रिलिंग में उस समय बाधा आई जब लोहे की कुछ छड़ें ऑगर मशीन के रास्ते में आ गईं। हालांकि, अधिकारियों को उम्मीद है कि बचाव अभियान गुरुवार सुबह तक पूरा हो जाएगा। वहीं, सुरंग के बाहर श्रमिकों के परिवार के कुछ सदस्य इकट्ठे थे। फंसे हुए लोगों में से एक के छोटे भाई ने कहा, “आज वो आ जाएगा तो हमारी दिवाली हो जाएगी।”
उत्तरकाशी में सिल्कयारा टनल में फंसे श्रमिकों के रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े पल-पल के अपडेट्स के लिए पढ़ें jansatta.com का LIVE
इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि Vertical ड्रिलिंग के लिए पूरी तरह से तैयारी है, जैसे कि सभी साइटें तैयार की गई हैं, मार्ग तैयार किए गए हैं, सब कुछ तैयार है, और इस ड्रिलिंग के साथ क्या करना है इसके बारे में निर्णय शीघ्र ही लिए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि सभी अलग-अलग पहुंच मार्ग, वे एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। इसलिए जब हम ऑगरिंग कर रहे हैं, तो हमें बहुत सावधान रहना होगा और इसमें वर्टिकल ड्रिलिंग के बारे में सावधानी बरतनी शामिल है। हम वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए तैयार हैं। यह सिर्फ एक सवाल है कि निर्णय कब लिया जाता है कि इसे करना है या नहीं करना है"
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने निर्माणाधीन सुरंग में पहुंचकर उसमें फंसे श्रमिकों से बातचीत की और उनका हौसला बढ़ाया। सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए जारी बचाव अभियान के मद्देनजर घटनास्थल के पास मातली में अस्थायी रूप से मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय बना दिया गया है। सुबह सुरंग के प्रवेश द्वार पर स्थित बाबा बौखनाग के मंदिर पर सिर झुकाते हुए मुख्यमंत्री ने उनसे सभी श्रमिकों के जल्द बाहर आने की प्रार्थना की।
NDMA के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा कि श्रमिकों को बचाने के लिए ‘ड्रिलिंग’ में तीन से चार और बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि 41 एम्बुलेंस सुरंग स्थल पर मौजूद हैं और गंभीर स्थिति वाले श्रमिकों को हवाई मार्ग से ले जाने की भी सुविधाएं हैं।
NDRF ने गुरुवार को कहा कि सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने में अगले कुछ घंटों में या शुक्रवार तक‘‘सफलता’’ मिल सकती है। श्रमिकों को बचाने के अभियान के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए, एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा कि बचाव अभियान की समयसीमा पर अटकलें लगाना उचित नहीं होगा क्योंकि यह युद्ध लड़ने जैसा है। उन्होंने यह भी कहा कि बचाव कार्य रुक गया है और इसके शीघ्र ही फिर से शुरू होने की संभावना है।
स्थानीय लोग स्थानीय देवता की ‘डोली’ को उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग में लाए, जहां फंसे हुए 41 श्रमिकों को बचाने के लिए ऑपरेशन चल रहा है।
रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में जानकारी देते हुए NDMA के मेंबर लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन ने बताया कि यह बहुत चुनौती वाला काम है। यह उम्मीद रखना कि अगले दो घंटे में हम निकाल लेंगे, यह सरासर गलता है। इससे वर्कफोर्स पर प्रेशर पड़ता है। वर्कर रिस्क पर हैं। रेस्क्यू टीम भी रिस्क पर है।
उत्तराकाशी से X के माध्यम से लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन की खबरें दे रहे वरिष्ठ पत्रकार अजित सिंह राठी ने पोस्ट कर बताया है कि 1.8 मीटर पाइप धकेलने के बाद अमेरिकन ऑगर मशीन फिर रुक गई है। फिर किसी कठोर चीज ने रास्ता रोक लिया। फ़िलहाल परीक्षण हो रहा है। अगर ऑग़र निकालकर अंदर जाना पड़ा तो फिर समय लगेगा।
https://twitter.com/AjitSinghRathi/status/1727635223729573907
उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने कहा कि श्रमिकों के बाहर निकलने के बाद उन्हें तत्काल चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जाएगी । उन्होंने कहा कि घटनास्थल से 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों का अस्पताल तैयार किया गया है। सुरंग के बाहर भी चिकित्सकों तथा उपकरणों से लैस एंबुलेंस तैयार खड़ी हैं।
उत्तरकाशी सुरंग बचाव पर PMO के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा, "...अंदर जो श्रमिक फंसे हैं उनके साथ अच्छी तरह से बातचीत हो रही है... इस काम के लिए जहां से भी हमें जो सहायता, जो विशेष सलाह सुलभ हो सकती है वो मंगाई गई है और मंगाई जा रही है। हमें पूरा सहयोग मिल रहा है क्योंकि बड़ी-बड़ी संस्थाए हैं जिनके पास पर्याप्त संसाधन हैं।"
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सुरंग में फंसे मजदूरों के सुकशल बाहर निकलने की कामना करते हुए कहा कि सरकार द्वारा इन मजदूरों को उचित मुआवजा और मदद दी जानी चाहिए। प्रियंका गांधी ने X पर पोस्ट किया, "उत्तरकाशी के सिल्कयारा में 12 दिन से 41 मजदूर भाई सुरंग में फंसे हैं। खबर है कि उन्हें बचाने के लिए चल रहा अभियान सफलता की ओर बढ़ रहा है और जल्द ही सबके सकुशल बाहर आने की उम्मीद जगी है। ईश्वर से प्रार्थना है कि सभी मजदूर भाई जल्द से जल्द बाहर आकर स्वस्थ-सानंद अपने-अपने घर पहुंचें। पूरा देश उनके लिए प्रार्थनाएं कर रहा है।"
AIIMS ऋषिकेश के डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि अगर जरूरत पड़ी तो उन लोगों को यहां लाने का प्लान है। सरकार ने उत्तरकाशी के जिला अस्पताल में व्यवस्था की है। उन्हें पहले वहां ले जाया जाएगा। हमने यहां भी व्यवस्था की है। उनके लिए ट्रॉमा और ICU बेड रिजर्व किए गए हैं।
उत्तराखंड के सचिव और सिल्कयारा बचाव अभियान के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने कहा, "उत्तराखंड के सीएम और केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) ने अंदर फंसे श्रमिकों से बातचीत की। उनका मनोबल ऊंचा है। श्रमिकों ने हमें बताया कि वे ठीक हैं। सभी आवश्यक दवाइयां भेज दी गई हैं। हमारे मनोचिकित्सकों और मानसिक स्वास्थ्य डॉक्टरों ने भी फंसे हुए 41 श्रमिकों से बातचीत की है। उन्हें अंदर कोई समस्या नहीं है।"
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे मजदूर गब्बर सिंह नेगी और सबा अहमद से बातचीत कर उनका हालचाल जाना और तेजी से चल रहे बचाव अभियान की जानकारी दी।
उत्तरकाशी सुरंग बचाव पर PMO के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा, "हमें उम्मीद है कि जो बाधाएं आनी थीं उसे हम पार कर चुके हैं। अगले 14-15 घंटों में हम 60 मीटर तक पार कर लेंगे, ड्रिलिंग का काम जारी है। 12 से 14 घंटे हमें वहां पहुंचने में लगेंगे। उसके बाद वहां श्रमिकों को एकत्र करके NDRF की सहायता से बाहर निकालने में 2-3 घंटे का समय लग सकता है।"
उत्तरकाशी सुरंग बचाव अभियान पर NDRF के DG अतुल करवाल ने बताया, "3 और पाइप जाने के अनुमान है। अगर दिन खत्म होने तक कोई चीज बीच में नहीं आती है तो आज इस अभियान में सफलता मिल जाएगी।"
पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा, "अगले 14-15 घंटों में हम 60 मीटर का आंकड़ा पार कर लेंगे। जहां मजदूर हैं वहां पहुंचने में हमें 12-14 घंटे और लगेंगे।" फंसे हुए हैं और फिर श्रमिकों को इकट्ठा करने और एनडीआरएफ कर्मियों की मदद से उन्हें बाहर लाने में 2-3 घंटे और लग सकते हैं।”
मजदूरों से सिर्फ 6 मीटर दूर हैं बचावकर्मी। NDRF के डीजीपी अतुल करवाल ने कहा कि आज रात तक पूरा हो सकता है रेस्क्यू ऑपरेशन।
रस्सियों और अन्य उपकरणों के साथ बचावकर्मियों का एक दल उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग में प्रवेश कर रहा है और फंसे हुए 41 श्रमिकों को बचाने का प्रयास अंतिम चरण में पहुंच गया है।
दिल्ली से तीन इंजीनियर और पांच विशेषज्ञ चल रहे बचाव कार्य में सहायता के लिए सिल्कयारा पहुंचे।
अब तक मिली जानकारी के अनुसार बुधवार शाम छह बजे तक मलबे में 44 मीटर तक ‘एस्केप पाइप’ डाला जा चुका था। इससे पहले अधिकारियों ने कहा था कि 41 मजदूरों तक पहुंचने के लिए अमेरिका निर्मित ‘ऑगर’ मशीन को 57 मीटर तक मलबों से होते हुए ड्रिलिंग करनी होगी।
उत्तराखंड सुरंग बचाव पर NDRF के DG अतुल करवाल ने बताया, "NDRF उन सभी स्थितियों के लिए तैयार है जो हमारे सामने आ सकती हैं। हमने विशेष उपकरण भी तैयार किए हैं ताकि जैसे ही रास्ता खुलता है हम उन्हें जल्द से जल्द बाहर निकाल पाएं। आशा है कि हम जल्द ही श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल पाएंगे।"
उत्तरकाशी पहुंचे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "ऑगर मशीन के जरिए 45 मीटर पाइपलाइन बिछाई जा चुकी है। बचाव अपने अंतिम चरण में है। कुछ बाधाएं आ रही हैं लेकिन हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि जल्द से जल्द सभी श्रमिक बाहर आएं।" सीएम ने कहा कि बचाव के बाद की तैयारियां कर ली गई हैं। एम्बुलेंस और अस्पताल उनके चेकअप और इलाज के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री मोदी हर दिन बचाव अभियान पर अपडेट ले रहे हैं। उन्होंने आज भी अपडेट लिया है। हमारे एक्सपर्ट्स मजदूरों को बचाने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) सिल्कयारा सुरंग स्थल पर पहुंचे। फंसे हुए 41 श्रमिकों को निकालने के लिए 12 दिनों से बचाव अभियान चालू है।
अंतरराष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ, अर्नोल्ड डिक्स सिल्कयारा सुरंग स्थल पर पहुंचे। अर्नोल्ड डिक्स ने बताया, "इस समय, ऐसा लगता है जैसे हम सामने के दरवाजे पर हैं और हम उस पर दस्तक दे रहे हैं। हम जानते हैं कि लोग दूसरी तरफ हैं। मैं देखने जा रहा हूं और देखूंगा कि क्या हो रहा है।"
उत्तरकाशी सुरंग बचाव पर PMO के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा, "हम अभी कोशिश कर रहे हैं कि 45 मीटर के आगे 6 मीटर और जाने के लिए जो पाइप वेल्डिंग करनी होती है, वे हम तैयार कर रहे हैं। रात में 45 मीटर के मुंह पर कुछ स्टील की संरचना सामने आ गई थी। उसको अंधेरे और बिना ऑक्सीजन के जगह पर काटने में हमें 6 घंटे लगे। हम उस पूरे हिस्से को साफ कर चुके हैं।"
उत्तरकाशी सुरंग बचाव अभियान पर DM अभिषेक रूहेला ने बताया, "अभी जो बचाव कार्य चल रहा है उसमें कुछ चुनौतियां आ रही हैं। उससे निजात पाने के लिए कुछ विशेषज्ञों को बुलाया गया है। उनके सलाह के आधार पर बचाव कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है। काम करने वाले लोगों की सुरक्षा भी आवश्यक है।
उत्तरकाशी सुरंग बचाव अभियान पर DM अभिषेक रूहेला ने बताया, "सभी मशीनें काम कर रही हैं। हम अधिकांश दूरी पूरी कर चुके हैं, थोड़ा काम बचा है। अभी किसी के लिए ये बताना संभव नहीं है कि कार्य पूर्ण होने में कितना समय लगेगा। कई बार नई समस्या आ जाती है। कार्य तेजी से चल रहा है। सभी के साथ सही से समन्वय बना कर कार्य हो रहा है। कार्य पर भारत सरकार और राज्य सरकार दोनों लगातार नजर रख रहे हैं। भारत सरकार से पूरा सहयोग मिल रहा है।"
उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने का अभियान बृहस्पतिवार को अंतिम चरण में पहुंच गया और सुरंग में आखिरी पाइप डाला जा रहा है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाले जाने के बाद उन्हें तत्काल चिकित्सकीय देखभाल प्रदान करने के लिए सभी इंतजाम किए गए हैं। घटनास्थल पर काम कर रहे एक ‘इलेक्ट्रीशियन’ ने बताया कि आखिरी पाइप डाला जा रहा है।
उत्तरकाशी सुरंग के मुख्य द्वार पर बने एक मंदिर में प्रार्थना की जा रही है, जहां फंसे हुए श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए बचाव अभियान चल रहा है।
बुधवार शाम को मलबे के माध्यम से 800 मिमी व्यास वाले स्टील पाइप की ड्रिलिंग में बाधा आने के संबंध में एक अधिकारी ने कहा, ‘‘यह एक छोटी अड़चन है जिसे एनडीआरएफ कर्मियों ने काटना शुरू कर दिया।’’ एक अधिकारी ने कहा कि लोहे की छड़ों को काटने में डेढ़ घंटे से ज्यादा नहीं लगेगा लेकिन दो और पाइप बिछाने तथा उन्हें एक साथ वेल्डिंग करने में कुछ और समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में अभियान बृहस्पतिवार सुबह आठ बजे तक समाप्त हो सकता है। ऑगर मशीन के शुक्रवार दोपहर को किसी कठोर सतह से टकराने के बाद उससे ड्रिलिंग रोक दी गयी थी। ड्रिलिंग रोके जाने तक मलबे को 22 मीटर तक भेद कर उसके अंदर छह मीटर लंबे 900 मिलीमीटर व्यास के चार पाइप डाले जा चुके थे। पाइप डाल दिये जाने के बाद श्रमिक इसके माध्यम से बाहर निकल सकते हैं। यह पाइप एक मीटर से थोड़ा कम चौड़ा है। एक बार जब पाइप के दूसरे छोर तक पहुंच जाने पर फंसे हुए श्रमिकों के रेंग कर बाहर निकलने की संभावना है।