उत्तराखंड यूसीसी मसौदा समिति के अध्यक्ष और रिटायर्ड आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह (Shatrughan Singh) ने राज्य में समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर बड़े बदलावों की ओर इशारा किया है। उन्होंने बताया कि यूसीसी के नए नियमों में सबसे अहम पहलू यह है कि यह पूरी तरह से जनता की सहूलियत को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसका मतलब है कि लोगों को बिना किसी परेशानी के अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने का मौका मिलेगा।
डिजिटल प्लेटफार्म का लाभ और घर बैठे सेवाएं
शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि यूसीसी के तहत लोगों को सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी। इसके बजाय, उन्होंने एक आधुनिक तरीका सुझाया है, जिससे लोग अपने घर बैठे ही संहिता से जुड़े लाभ उठा सकते हैं। यह सुविधा वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप के जरिए उपलब्ध होगी, जिससे जनता को आसान और त्वरित सेवाएं मिल सकेंगी।
लोगों के समय और मेहनत को बचाना बड़ा उद्देश्य
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस संहिता का उद्देश्य लोगों के समय और मेहनत को बचाना है। सरकारी प्रक्रियाओं को सरल बनाने के साथ ही, इसे अधिक प्रभावी और सुलभ बनाया जा रहा है। इससे जनता को लंबे समय तक चलने वाली कानूनी प्रक्रियाओं से छुटकारा मिलेगा और वे बिना किसी बाधा के अपनी संहिता से संबंधित आवश्यकताओं को पूरा कर सकेंगे।
सिंह ने यह भी कहा कि इस पहल से सरकारी कार्यालयों में भीड़भाड़ कम होगी और लोगों के लिए सभी सेवाएं डिजिटल माध्यम से अधिक सुलभ हो जाएंगी। यह कदम राज्य में प्रशासनिक प्रक्रियाओं को और भी पारदर्शी और आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए नियम निर्माण समिति ने अपनी अंतिम बैठक में कुछ अहम सिफारिशें की हैं। समिति ने सोमवार को विवाह और लिव-इन पंजीकरण, वसीयत के दस्तावेजीकरण और इसके संशोधन के लिए डिजिटल सुविधाएं देने की सिफारिश की। इन सिफारिशों का उद्देश्य लोगों को सरल और डिजिटल माध्यमों से कानूनी सेवाएं प्रदान करना है, जिससे उन्हें सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने की जरूरत न पड़े।
इस समिति की स्थापना फरवरी में की गई थी, और तब से लेकर अब तक उप-समितियों के साथ मिलकर 130 से अधिक बैठकें की जा चुकी हैं। इन बैठकों का परिणाम 500 पन्नों की एक विस्तृत रिपोर्ट के रूप में सामने आया है, जिसे जल्द ही राज्य सरकार को सौंपा जाएगा। रिपोर्ट में यूसीसी से जुड़े नियमों और उनके कार्यान्वयन की पूरी प्रक्रिया का विस्तृत विवरण होगा। समिति के सदस्य, जिनमें कानूनी विशेषज्ञ और कानून के प्रशिक्षु भी शामिल हैं, ने सुनिश्चित किया है कि नियम पारदर्शी और व्यवहारिक हों।
समिति के प्रमुख, सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह ने बताया कि उन्होंने विवाह पंजीकरण के लिए एक विशेष प्राधिकरण की सिफारिश की है। इसके तहत गांवों में उप-रजिस्ट्रार या ग्राम पंचायत विकास अधिकारी विवाह पंजीकरण के लिए जिम्मेदार होंगे, जैसा कि वर्तमान में जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए किया जाता है। इससे गांवों और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को भी आसानी से सेवाएं मिल सकेंगी।
बीजेपी का उद्देश्य है कि उत्तराखंड की इस यूसीसी को अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत किया जाए। इसी को ध्यान में रखते हुए, नियमों का खाका तैयार किया गया है, जिससे भविष्य में अन्य राज्य भी इसे अपनाने पर विचार कर सकें। इस कदम को राज्य में प्रशासनिक सुधारों और नागरिक संहिता के बेहतर कार्यान्वयन की दिशा में एक अहम प्रगति माना जा रहा है।