उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्रियों को मुफ्त में सरकारी बंगला और गाड़ी जैसी सुख-सुविधाएं देना अवैध करार दिया गया है। शुक्रवार (तीन मई, 2019) को एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान उत्तराखंड हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कोर्ट ने इस बाबत कहा कि राज्य के सभी पूर्व सीएम को निःशुल्क मिले सरकारी बंगले और कारें सरीखी सभी किस्म की सुविधाएं दिया जाना अवैध है।
‘न्यूज 18’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन और जस्टिस रमेश चंद्र खुलबे की बेंच इस मसले में रूरल लिटिगेशन ऑफ एन्टाइटलमेंट केंद्र (आरएलईके) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा कि साल 2001 से लेकर अभी तक पूर्व मुख्यमंत्रियों को घर और अन्य सुख-सुविधाएं मुहैया कराने से जुड़े सरकारी आदेश राज्य में अवैध और असंवैधानिक हैं।
आदेश में आगे कहा गया, “सेवानिवृत्ति के बाद छठे प्रतिवादी (विजय बहुगुणा) का खुद के लिए ये फायदे लेना, उनकी छवि दर्शाता है।” दरअसल, पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी ने इस याचिका को चुनौती दी थी। अपने हलफनामे के जरिए उन्होंने कहा था कि उनकी आर्थिक हालत बेहद तंग है, जिसके चलते वह खर्चों का वहन नहीं कर सकते हैं। हालांकि, कोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी और सरकार को राजनेताओं से छह महीने के भीतर रकम वसूलने के निर्देश दिए थे।
जानकारी के मुताबिक, दिवंगत पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी के परिजन से भी बकाया रकम वसूली जाएगी। इससे पहले, साल 2010 में देहरादून की एक गैर सरकारी संस्थान आरएलईके ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका के जरिए राज्य के पूर्व सीएम को मिलने वाली सुविधाओं के मामले में चुनौती दी थी।
बताया गया कि दिवंगत पूर्व सीएम नित्यानंद स्वामी खुद के आवास पर रहते थे, जबकि अन्य पूर्व सीएम में शामिल भगत सिंह कोश्यारी, दिवंगत एनडी तिवारी, बीसी खंडूरी, रमेश पोखरियाल निशांक और विजय बहुगुणा सरकारी बंगलों में रहे।
उसी दौरान, 2016 के कोर्ट के एक आदेश के बाद सभी पूर्व सीएम से सरकारी बंगले खाली करने और उनमें से कुछ को बकाया रकम चुकाने के आदेश दे दिए गए। गैर सरकारी संगठन ने इसके बाद पूर्व सीएम से सरकारी बंगलों का किराया वसूलने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
आरएलईके अध्यक्ष अवधेश कौशल के हवाले से कहा गया, “मुझे खुशी है कि कोर्ट ने हमारी सुन ली और ऐसा फैसला दिया, जिससे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों से बकाया रकम वसूली जा सकेगी। हमारी लड़ाई जनता के पैसों से तैयार किए जाने संसाधनों के गलत इस्तेमाल के खिलाफ थी।”