COVID-19 की दवा के दावे पर योगगुरु स्वामी रामदेव की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। बुधवार को उन्हें उत्तराखंड हाईकोर्ट की ओर से इस मामले में नोटिस थमा दिया गया। रामदेव को जो चिट्ठी भेजी गई है, उसमें Divya Pharmacy, NIMS University, केंद्र और राज्य सरकार के नाम भी शामिल हैं। दरअसल, ये नोटिस इन सभी को उस याचिका के जवाब में जारी किया गया है, जिसमें आयुर्वेदिक दवाई कोरोनिल पर बैन लगाने की मांग की गई थी।
अधिवक्ता मणि कुमार की याचिका पर कोर्ट केंद्र सरकार के असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल को नोटिस जारी कर चुका है। नैनीताल हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई 13 जुलाई को होगी। कुमार का कहना है कि रामदेव ने दवा का भ्रामक प्रचार-प्रसार किया है। अपनी याचिका में उन्होंने कोर्ट से कहा है कि दवा पर बैन लगाया जाना चाहिए और आईसीएमआर की गाइडलाइंस का पालन ना करने पर संस्था पर कानूनी कार्रवाई भी होनी चाहिए। इसके अलावा पतंजलि द्वारा उत्तराखंड के आयुष विभाग के समक्ष भी कोरोना की दवा बनाने के लिए आवेदन नहीं किया गया है। संस्था ने रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की दवा बनाने का आवेदन किया था।
23 जून को योगगुरु स्वामी रामदेव ने जयपुर स्थित निम्स यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोना की दवा बनाने का दावा किया था। कंपनी ने दावा किया था कि इस दवा का परीक्षण निम्स विश्वविद्यालय राजस्थान में हुआ है। लेकिन निम्स का कहना है कि ऐसी किसी भी दवा का क्लीनिकल परीक्षण उनके यहां नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता की मांग है कि कोरोनिल पर फौरन प्रतिबंध लगाया जाए क्योंकि इसका क्लीनिकल ट्रायल नहीं किया गया है।
बता दें बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया थे। जिसमें उन्होंने अपना पक्ष सामने रखा। पत्रकारों से बात करते हुए बाबा ने कहा “ऐसा लगता है कि हिन्दुस्तान के अंदर योग आयुर्वेद का काम करना एक गुनाह हो और सैकड़ों जगह एफआईआर दर्ज हो गईं। जैसे किसी देशद्रोही और आतंकवादी के खिलाफ दर्ज होती हैं।” उन्होने कहा “अभी तो हमने एक कोरोना के बारे में क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल का डाटा देश के सामने रखा तो एक तूफान सा उठ गया। उन ड्रग माफिया, मल्टीनेशनल कंपनी माफिया, भारतीय और भारतीयता विरोधी ताकतों की जड़ें हिल गईं।”
बाबा ने कहा कि कुछ लोग जरूर खुश हो रहे होंगे कि आयुष मंत्रालय ने कहा कि कोविड मैनेजमेंट के लिए पतंजलि ने जो काम किया उसको हम उपयुक्त कह रहे हैं। इसमें मैनेजमेंट शब्द का इस्तेमाल किया गया,ट्रीटमेंट का नहीं। शब्दों के मायाजाल में हम आयुर्वेद का सत्य न तो दबने देंगे, न ही मिटने देंगे।