Uniform Civil Code: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) सोमवार से लागू हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास के मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम में इसका ऐलान किया। सीएम धामी ने इसे प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बताया और कहा कि तीन साल पहले प्रदेश की जनता से जो वादा किया था, उसे आज पूरा कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि UCC किसी धर्म या वर्ग के खिलाफ नहीं है बल्कि इसका उद्देश्य सभी को समान अधिकार प्रदान करना है।
मुख्यमंत्री ने “समान नागरिक संहिता उत्तराखंड-2024” को लागू करने के लिए तैयार की गई नियमावली और संबंधित पोर्टल का भी शुभारंभ किया। लोग इस पोर्टल (https://ucc.uk.gov.in) का उपयोग कर सकते हैं।
धामी सरकार का कहना है कि यह फैसला उत्तराखंड को देशभर में एक नई पहचान दिलाएगा। यूसीसी न केवल धार्मिक रीति-रिवाजों को सम्मान देगा, बल्कि आधुनिक समाज में समान अधिकार और कर्तव्य की भावना को भी बढ़ावा देगा। धामी ने कहा है कि उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने से सभी नागरिकों को एक समान कानून के तहत न्याय और अधिकार मिलेंगे।
क्या है यूसीसी का मतलब? (What is UCC?)
समान नागरिक संहिता का मतलब है कि सभी नागरिकों के लिए एक ही कानून लागू होगा, चाहे उनका धर्म, जाति या जेंडर कुछ भी हो।
लिव इन में रहने वाले कपल्स को कराना होगा रजिस्ट्रेशन New rules for live-in couples
उत्तराखंड में अब लिव इन में रहने वाले कपल्स को भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके साथ ही उन्हें लिव इन से अलग होने के लिए भी जानकारी देनी होगी।
यूसीसी से जुड़ी कुछ अहम बातें
विवाह और तलाक: विवाह अब केवल उन्हीं पक्षों के बीच होगा, जिनमें से कोई भी पहले से विवाहित न हो। पुरुष की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और महिला की 18 वर्ष होनी चाहिए।
उत्तराधिकार और विरासत: संपत्ति और उत्तराधिकार के मामलों में सभी धर्मों के लिए समान नियम होंगे।
विवाह पंजीकरण: अधिनियम के तहत विवाह का पंजीकरण अनिवार्य होगा। नए विवाहों को 60 दिनों के भीतर पंजीकृत कराना होगा।
संपत्ति विवाद: वसीयत और उत्तराधिकार से जुड़े विवादों का निपटारा एक समान कानून के तहत होगा।
किन्हें मिलेगा छूट का लाभ?
यूसीसी उत्तराखंड के सभी निवासियों पर लागू होगा लेकिन कुछ खास श्रेणियों, जैसे अनुसूचित जनजातियों और संरक्षित समुदायों को इससे छूट दी गई है।
विवाह पंजीकरण के नए नियम
उत्तराखंड सरकार ने विवाह पंजीकरण के लिए भी कड़े नियम तय किए हैं। 15 दिन के भीतर विवाह पंजीकरण का काम पूरा करना होगा। 26 मार्च 2010 से पहले हुए विवाहों को भी पंजीकरण का मौका मिलेगा। राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के निवासियों को भी समान नागरिक संहिता कानून को मानना होगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि समान नागरिक संहिता लागू करना केवल एक वादा पूरा करना नहीं, बल्कि यह समाज में समानता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने का प्रयास है। यह कदम खासकर महिलाओं और कमजोर वर्गों के लिए लाभकारी साबित होगा। मार्च, 2022 में पुष्कर सिंह धामी ने दोबारा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, उसके बाद मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में यूसीसी के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई थी।