Urjit Patel Resigns: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर उर्जित पटेल ने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वर्ष 1990 के बाद यह पहला मौका है जब आरबीआई के किसी गवर्नर ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया। कई वित्तीय मसलों पर उनका मोदी सरकार से गहरा मतभेद चल रहा था। जोखिम वाली संपत्ति (NPA) में लगातार वृद्धि को देखते हुए RBI सख्त रुख अपना लिया था। सरकारी क्षेत्र के कई बैंकों को RBI ने प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (PCA) कैटेगरी में डाल दिया था। इससे संबंधित बैंकों के कर्ज देने पर कई तरह के प्रतिबंध लग गए थे। उर्जित पटेल के इस्तीफे पर राजनीति गरमा गई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि देश में वित्तीय आपात की स्थिति पहले ही शुरू हो चुकी है।
इसके अलावा NBFC को कर्ज मुहैया कराने के मसले पर भी केंद्रीय बैंक ने सख्त रुख अपना लिया था। कुछ सप्ताह पहले आरबीआई बोर्ड की बैठक हुई थी, जिसमें तमाम मतभेदों को दूर करने का प्रयास किया गया था। हालांकि, कुछ दिनों के बाद ही बोर्ड की बैठक होने वाली है, लेकिन इससे पहले ही RBI गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफ दे दिया। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उर्जित पटेल को बेहतरीन अर्थशास्त्री बताते हुए कहा वह अपने पीछे महान विरासत छोड़ गए हैं।


पूर्व प्रधानमंत्री और आरबीआई के पूर्व गवर्नर डॉक्टर मनमोहन सिंह ने उर्जित पटेल द्वारा अचानक से इस्तीफा देने पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, 'मैं डॉक्टर उर्जित पटेल को एक बहुत ही सम्मानित अर्थशास्त्री के तौर पर जानता हूं। उन्होंने भारत की वित्तीय संस्थानों और आर्थिक नीतियों की बेहतरीन तरीके से संभाला। उनका अचानक से इस्तीफा देना दुर्भाग्यपूर्ण और देश की अर्थव्यवस्था के लिए गहरा आघात है।'
सरकार और आरबीआई में तल्खी के स्तर को इस बात से ही समझी जा सकती है कि केंद्र ने केंद्रीय बैंक के खिलाफ RBI एक्ट की धारा 7 के इस्तेमाल की चेतावनी तक दे डाली थी। अभी तक इसका प्रयोग नहीं किया गया है। इस धारा के तहत यह प्रावधान किया गया है कि यदि सरकार को लगता है कि सार्वजनिक हित का कोई महत्वपूर्ण मसला सामने आ गया है तो वह आरबीआई को उचित निर्देश देकर संबंधित मसलों पर बातचीत की शुरुआत कर सकती है।
जोखिम वाले कर्ज (NPA) के बढ़ते स्तर को लेकर आरबीआई और सरकार के बीच लंबे समय से मतभेद चले आ रहे हैं। सरकार का कहना है कि आरबीआई की अनदेखी के कारण NPA में वृद्धि हुई है। वहीं, केंद्रीय बैंक का कहना है कि बैंकों की निगरानी को लेकर पर्याप्त अधिकार न होने के कारण वह सरकारी बैंकों पर नकेल नहीं कस पा रहा है। केंद्र सरकार ने आरबीआई की इस दलील को खारिज कर दिया था। बता दें कि बैंकों पर NPA का बोझ 9 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा के स्तर तक पहुंच चुका है।
उर्जित पटेल की अगुआई में आरबीआई ने सरकारी के साथ ही निजी क्षेत्र के बैंकों के खिलाफ भी सख्त रुख अपना लिया था। न्यूज एजेंसी 'ब्लूमबर्ग' के अनुसार, आरबीआई की सख्ती के कारण ही एक्सिस बैंक की पूर्व प्रमुख शिखा शर्मा और यस बैंक के राणा कपूर को सेवा विस्तार नहीं मिला था।
आरबीआई ने इस साल 12 फरवरी को बैंकों के लिए एक सर्कुलर जारी किया था। इसमें जोखिम वाले कर्ज से जुड़े बैंक खातों को लेकर बैंकों को सख्त निर्देश दिया गया था कि ऐसे लोन के भुगतान में एक दिन की भी देरी होने की स्थिति में वसूली प्रक्रिया तत्काल शुरू कर दी जाए। इससे आरबीआई और सरकार के बीच तल्खी और बढ़ गई थी।
उर्जित पटेल के इस्तीफे पर राजनीति गरमा गई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बताया कि आरबीआई के गवर्नर ने इस्तीफा दे दिया है और देश में वित्तीय स्थायित्व नहीं है। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए गंभीर चिंता का विषय है। सीएम ममता ने कहा कि देश में वित्तीय आपात की स्थिति पहले ही शुरू हो चुकी है, ऐसे में हमलोग (विपक्षी दलों के नेता) राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे।
आरबीआई गवर्नर के तौर पर उर्जित पटेल ने कमजोर बैलेंसशीट वाले सरकारी बैंकों के खिलाफ सख्त रुख अपना लिया था। आरबीआई ने 11 कमजोर बैंकों को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) की श्रेणी में डाल दिया था। इससे इन बैंकों द्वारा लोन देने पर कई तरह की पाबंदियां लग गईं। पीसीए कैटेगरी में डाले गए बैंकों को अविलंब अपना बैलेंसशीट सुधारने का निर्देश दिया गया था। आरबीआई के इस कदम से बाजार में लिक्विडिटी क्रंच की स्थिति बन गई। सरकार ने आरबीआई से इस ममाले में कुछ छूट देने को कहा था, लेकिन केंद्रीय बैंक ने ढिलाई बरतने से इनकार कर दिया।
उर्जित पटेल द्वारा आरबीआई गवर्नर पद से इस्तीफा देने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उनकी सराहना की है। वित्त मंत्री ने ट्वीट किया, 'आरबीआई के डिप्टी गवर्नर और गवर्नर के तौर पर उर्जित पटेल ने इस देश के लिए जो सेवाएं दी हैं, सरकार उसकी सराहना करती है। यह मेरा सौभाग्य है कि मैंने उनके साथ काम किया।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2016 में 500 और 1000 के नोट को वापस लेने की घोषणा कर डाली थी। 'इंडियन एक्सप्रेस' में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई ने इस प्रक्रिया से कालेधन और नकली नोटों पर रोक लगने की सरकारी राय को खारिज कर दिया था। हालांकि, उर्जित पटेल ने इस मसले पर कभी सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी नहीं की, लेकिन माना जाता है कि इस वजह से भी मोदी सरकार और आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के बीच तल्खी बढ़ गई थी।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उर्जित पटेल के इस्तीफे पर उन्होंने कहा, 'उन्होंने (पीएम मोदी) जिन लोगों को नियुक्त किया था वे इस्तीफा दे रहे हैं। पहले अरविंद सुब्रमणियन ने मुख्य आर्थिक सलाहकार का पद छोड़ा और अब उर्जित पटेल ने। इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। मोदी समझते हैं कि वह सबसे बड़ा अर्थशास्त्री हैं और उन्हें उनकी जरूरत नहीं है। ऐसे में वे पद छोड़ रहे हैं।'
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे को लेकर मोदी सरकार पर करारा हमला बोला है। उन्होंने कहा, 'विपक्षी दलों के नेताओं के साथ चल रही बैठक के बीच में ही मुझे बताया गया कि आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने इस्तीफा दे दिया है, क्योंकि वह सरकार के साथ काम नहीं कर पा रहे थे। कमरे (जहां बैठक चल रही थी) में बैठे सभी लोग इस बात को लेकर एकमत थे कि संस्थाओं पर बीजेपी द्वारा किए जा रहे हमले को हमें रोकना होगा।'
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कुछ दिनों पहले बेहद तल्ख बयान दिया था। एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने आरबीआई की स्वतंत्रता को बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया था। उनके इस बयान के बाद सरकार और आरबीआई के बीच पहले से जारी तल्खी बेहद बढ़ गई थी। उस वक्त से ही उर्जित पटेल के इस्तीफे की अटकलबाजी तेज हो गई थी।
RBI गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफे से आरबीआई बोर्ड के सदस्य एस. गुरुमूर्ति हैरान हैं। उन्होंने ट्वीट किया, 'आरबीआई गवर्नर के इस्तीफे की खबर सुनकर हैरान हूं। पिछला बैठक (आरबीआई बोर्ड) इतने सौहार्दपूर्ण माहौल में हुआ था कि यह खबर सुनकर मैं भौंचक्का रह गया हूं। आरबीआई के सभी डायरेक्टर्स ने कहा था कि मीडिया ने गलत धारणा पैदा कर दी है, जबकि अंदरूनी हालात बिल्कुल अलग थे। ऐसे में इस्तीफे की खबर और भी हैरान करने वाली है।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और ट्वीट में RBI गवर्नर उर्जित पटेल को बेहतरीन पेशेवर करार दिया। उन्होंने लिखा, 'डॉक्टर उर्जित पटेल बेहतरीन पेशेवर होने के साथ ही सत्यनिष्ठा का पालन करने वाले भी थे। वह RBI में डिप्टी गवर्नर और गवर्नर के तौर पर तकरीबन 6 वर्षों तक अपनी सेवाएं दीं। वह अपने पीछे महान विरासत छोड़ गए हैं। हमलोगों को उनकी कमी खलेगी।'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने RBI के गवर्नर पद से इस्तीफा देने वाले उर्जित पटेल को उच्च क्षमता वाला बेहतरीन अर्थशास्त्री बताया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'उर्जित पटेल बहुत ही क्षमतावान अर्थशास्त्री हैं। उन्हें मैक्रो इकोनोमी की गहरी समझ है। उन्होंने बैंकिंग सिस्टम को अव्यवस्था से निकाल कर उसे पटरी पर लाने का काम किया। उनके नेतृत्व में RBI ने वित्तीयि क्षेत्र में स्थायित्व लाया।'
उर्जित पटेल ने RBI गवर्नर का पद छोड़ने के पीछे का कारण भी बताया है। RBI ने उर्जित पटेल का बयान ऑनलाइन जारी किया है। इसमें उर्जित ने कहा, 'मैंने निजी वजहों के चलते मौजूदा पद से तत्काल प्रभाव से पद छोड़ने का फैसला लिया है। मेरे लिए यह बड़े ही सम्मान की बात है कि मैंने RBI में पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न पदों पर काम किया।'