नेशनल काउंसिल फॉर प्रमोशन ऑफ उर्दू लैंग्वेज ने उर्दू लेखकों और संपादकों को एक फॉर्म जारी किया है। फार्म में लेखकों को यह घोषणा करने को कहा गया है कि बुक और मैगजीन में प्रकाशित कंटेंट सरकार और देश के खिलाफ नहीं है। यह फॉर्म उन लेखकों को जारी किया गया है, जो कि सरकार आर्थिक योजना के तहत एनसीपीयूएल की योजना का लाभ उठाना चाहते हैं। पिछले कुछ महीनों में यह कुछ उर्दू लेखकों और संपादकों को मिला है। फॉर्म में दो गवाहों के हस्ताक्षर के लिए भी कहा गया है। फॉर्म उर्दू भाषा में ही है। यह संस्थान मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंडर में काम करता है।
फॉर्म में लिखा है, ‘मैं….. बेटा/बेटी…यह पुष्टि करता हूं कि एनसीपीयूएल द्वारा आर्थिक सहायता योजना के तहत एक साथ खरीदने लिए मंजूर हुई मेरी किताब और मैगजीन में भारत सरकार की नीतियों और राष्ट्रहितों के खिलाफ नहीं लिखा है। इसे किसी भी सरकारी और गैर सरकारी संस्थान द्वारा आर्थिक सहायता नहीं मिली है।’ साथ ही इसमें चेतावनी लिखी गई है कि अगर इस नियम को तोड़ा भी जाता है तो संस्थान लेखक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी और उससे आर्थिमक मदद वापस ले लेगा।
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एनसीपीयूएल के डायरेक्टर इरतेजा करीम का कहना है कि अगर कोई लेखक सरकार से आर्थिक मदद चाहता है तो सामग्री सरकार के खिलाफ कतई नहीं होनी चाहिए। एनसीपीयूएल सरकारी संस्थान है और हम सरकारी कर्मचारी। स्वभाविक है कि हम सरकार के हितों की रक्षा करेंगे। साथ ही फॉर्म के फैसले के बारे में उन्होंने कहा कि इसका फैसला पिछले साल काउंसिल मेंबर्स की बैठक में एक साल पहले लिया गया था। जिसमें एचआरडी मिनिस्ट्री के सदस्य भी शामिल थे। होम मिनिस्ट्री को भी इस बारे में पता है।
करीम ने साथ ही बताया कि काउंसिल को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार किताबें किसी और लेखक द्वारा लिखी जाती हैं और किसी अन्य के नाम से सब्मिट कर दी जाती हैं। हम लोग कानूनी लड़ाइयों में उलझ जाते हैं। हमारे पास कर्मचारी कम हैं, इसलिए हर किताब की हर लाइन को बारीकी से जांच नहीं कर पाते। यह फॉर्म हमें लेखकों की जिम्मेदारी तय करने में मदद करेगा।
उर्दू लेखक इस फॉर्म का विरोध कर रहे हैं, लेखकों का कहना है कि यह गला घोटने जैसे प्रयास है। कोलकाता की उर्दू लेखर प्रोफेसर शनाज नबी का कहना है कि उर्दू लेखकों को दो गवाहों से हस्ताक्षर करवाने के लिए कहना लेखकों की बेइज्जती है। यह लेखकों की विचारों की आजादी पर लगाम लगाने जैसा है।