सीसैट का प्रश्न पत्र योग्यता का होता है। बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों का कहना है कि इस बार की परीक्षा में पूछे गए सवालों का स्तर काफी ऊंचा था। सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कराने वाले शिक्षकों का भी मानना है कि इस बार की परीक्षा का खमियाजा सबसे अधिक कला विषय की पृष्ठभूमि के अभ्यर्थियों को हो सकता है। आशंका है कि इस बार कला विषय की पृष्ठभूमि के उम्मीदवार कम संख्या में प्रमुख परीक्षा के लिए योग्यता हासिल कर पाएं।
28 मई को हुई इस परीक्षा को लेकर बड़ी संख्या में उम्मीदवार असंतुष्ट हैं और कुछ ने अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर भी साझा की है। परीक्षा की तैयारी कराने वाले एक संस्था के निदेशक ने ट्विटर पर लोगों से पूछा कि ‘क्या इस बार का सीसैट इतना कठिन था कि 33 फीसद का कटआफ भी नहीं निकाला जा सकता है?’ इस सवाल का जवाब 1,541 लोगों ने दिया जिनमें से 73 फीसद ने ‘हां’ और 27 फीसद ने ‘नहीं’ कहा। यानी अधिकतर उम्मीदवारों का मानना है कि इस बार का सीसैट बहुत कठिन था।
इस प्रश्नपत्र लेकर उम्मीदवारों के एक समूह ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में एक याचिका दायर की है। इन अभ्यर्थियों की कैट से मांग है कि सीसैट (पेपर-2) के लिए कटआफ 33 फीसद से घटाकर 23 फीसद किया जाए या इस पेपर के लिए दोबारा परीक्षा कराई जाए। याचिका दायर करने वाले अभ्यर्थियों का कहना है कि सीसैट पेपर के प्रश्नों की कठिनाई का स्तर इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए ली जाने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मुख्य और प्रबंधकीय पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए होने वाली साझा प्रवेश परीक्षा (कैट) के स्तर का था।
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में इस मामले की अगली सुनवाई छह जुलाई को होगी। दिल्ली में आइएएस गुरुकुल संस्थान प्रमुख प्रणय अग्रवाल ने कहा कि इस बार परीक्षा देकर आए अधिकतर अभ्यर्थियों ने सीसैट को पिछले कई सालों में सबसे कठिन बताया। अग्रवाल ने कहा कि यह बात भी सही है कि इस बार के पेपर के गणित के भाग का स्तर जेईई मुख्य के स्तर की तरह ही रहा। उन्होंने कहा कि इस कठिन पेपर का सबसे अधिक खमियाजा कला विषयों की पृष्ठभूमि से आने वाले उम्मीदवारों को हो सकता है और इसका फायदा बेशक उन उम्मीदवारों को होना जिनकी पृष्ठभूमि आइआइटी की रही है।
हालांकि, अग्रवाल ने यह भी कहा कि क्योंकि यह पेपर योग्यता से जुड़ा है इसलिए इस बात की उम्मीद कम है कि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण इस मामले में अभ्यर्थियों को कोई राहत देगा। उन्होंने कहा कि यह पेपर अभ्यर्थियों को छांटने की प्रक्रिया का एक भाग है और यूपीएससी को मुख्य परीक्षा के लिए आवश्यक योग्य अभ्यर्थी मिल ही जाएंगे।
राहुल गुप्ता ट्विटर पर लिखते हैं कि गैर-गणित पृष्ठभूमि के अभ्यर्थियों के साथ ऊंचे स्तर के सवाल पूछना धोखाधड़ी है। रवि शिंदे लिखते हैं कि सिविल सेवा परीक्षा का उद्देश्य सामान्यज्ञ को लेना है, विशेषज्ञ को नहीं। लेकिन सीसैट के पेपर में बड़ी संख्या में सवाल कैट देने वाले उन लोगों के लिए होंगे जो गणित के विशेषज्ञ हैं।
इस तरह कमल खंडेलवाल ट्विटर पर लिखते हैं कि प्रतिष्ठित नौकरी के चयन के लिए जिम्मेदार संस्थान (यूपीएससी) से यह उम्मीद नहीं की जा सकती थी। सवाल अधिकतर उम्मीदवारों के स्तर से बहुत दूर हैं, जिससे सभी को एक समान मौका नहीं मिला। तरुण अग्रवाल ने सीसैट 2023 को हिंदी माध्यम, ग्रामीण, वंचित वर्ग, गैर इंजीनियर पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों के लिए अनुचित करार दिया। उन्होंने लिखा कि सीसैट समावेशी नहीं था और यह पाठ्यक्रम से भी बाहर था।अब सभी उम्मीदवारों की नजर केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण लगी हैं, जो उन्हें कोई राहत दे सकता है।