लोकसभा में आज सदस्यों ने देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप, संविधान के तहत लोकतांत्रिक ढांचे, एकता, भाइचारे एवं ‘‘सर्व धर्म सम्भाव’’ की विचारधारा को पुरजोर तरीके से रेखांकित करते हुए विपक्ष ने जहां इस मामले में प्रधानमंत्री के स्पष्टीकरण एवं सदन में एक प्रस्ताव अंगीकार करने की मांग की, वहीं सत्तारूढ भाजपा ने धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाने की जरूरत बतायी।
नियम 193 के तहत आगरा में कथित धर्मांतरण की पृष्ठभूमि में उत्पन्न स्थितियों पर चर्चा की शुरूआत करते हुए कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हम सरकार या किसी और व्यक्ति को नीचा नहीं दिखाना चाहते हैं। संविधान देश की आत्मा है और इसमें लिखा है कि देश के सभी लोगों को अपने विचार रखने, धर्म मानने, देश की अखंडता एवं सम्प्रभुता कायम रखने की आजादी है। भारत रूपी गुलदस्ते में अनेक फूल हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ मैं हिन्दू हूं लेकिन मेरा धर्म संकीर्णता नहीं सिखाता बल्कि पूरे विश्व के लिए व्यापक परिवेश का दर्शन शास्त्र पेश करता है। आगरा में कथित तौर पर बलपूर्वक धर्म परिवर्तन की जो घटना सामने आई है, वह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। क्या हम देश के भीतर कटुता पैदा करना चाहते हैं। क्या यही अच्छे दिन हंै। संविधान का पालन हो यह देखना सरकार की जिम्मेदारी है।’’
सिंधिया ने कहा, ‘‘ हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री इस विषय पर स्पष्टीकरण दें क्योंकि प्रधानमंत्री सभी के हैं।’’
भाजपा के सुमेधानंद सरस्वती ने कहा कि इस विषय पर चर्चा की जरूरत नहीं थी लेकिन एक सामान्य सी घटना को बड़ा रूप दे दिया गया। हमारे देश में सभी धर्मो के प्रति आस्था रखी जाती है। जब से यह सृष्टि बनी तब से हमारी संस्कृति अस्तित्व में है और जितने लोग आए हमने उन्हें गले लगाया।
उन्होंने कहा कि भाजपा धर्मांतरण के पक्ष में नहीं है। जहां भी भाजपा की सरकारें बनी, वहां पर धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून बनाने की पहल की गई। इस विषय पर कानून बनना चाहिए। महात्मा गांधी ने भी धर्मांतरण का विरोध किया था।