उत्तर प्रदेश वासियों को नए साल में महंगाई का झटका लगा है। पावर कार्पोरेशन (UPPCL) ने बिजली दरों (Electricity Bill) में बढ़ोतरी करते हुए प्रति यूनिट 66 पैसे तक बिजली के रेट बढ़ा दिए हैं। बता दें कि योगी सरकार में साल भर में दूसरी बार बिजली की दर में इजाफा किया गया है। हालांकि अचानक रेट बढऩे पर विद्युत उपभोक्ता परिषद यूपी विद्युत नियामक आयोग पहुंच गया है। मामले में विद्युत उपभोक्ता परिषद ने एक जनहित याचिका दाखिल की है।

सितंबर में भी बढ़े थे दाम: इससे पहले सितंबर 2019 में यूपी में बिजली की दरों मे बढ़ोतरी की गई थी। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) के आदेशानुसार अनुसार शहरी व कॉमर्शियल क्षेत्र के साथ-साथ ग्रामीण उपभोक्ताओं के लिए भी बिजली के दामों में इजाफा किया गया था। शहरी क्षेत्र में करीब 12 फीसदी की बढ़ोतरी की गई, जबकि औद्योगिक क्षेत्र में करीब 10 फीसदी का इजाफा किया गया है। साथ ही योगी सरकार ने ग्रामीण इलाकों में फिक्स चार्ज (400 रुपए) से बढ़ाकर 500 रुपए कर दिया है। प्रदेश में तक़रीबन 10 से 15 प्रतिशत बिजली की दरों में बढ़ोतरी की गई है।

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ये है खास: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में इस बार बिजली के रेट बढ़ाने मेें विद्युत नियामक आयोग की मंजूरी नहीं ली गई है। यूपीपीसीएल ने खुद से ही इस बार रेट बढ़ाया है। प्रदेश में विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं को पहली जनवरी से 12 पैसे से 43 पैसे प्रति यूनिट तक बिजली महंगी होगी।

विद्युत नियामक आयोग: अचानक बिजली के दाम बढऩे पर विद्युत उपभोक्ता परिषद यूपी विद्युत नियामक आयोग पहुंच गया है। मामले में विद्युत उपभोक्ता परिषद ने एक जनहित याचिका भी दाखिल की। वहीं UPPCL ने 4 से 66 पैसा प्रति यूनिट तक की बिजली की दर में अचानक इजाफा करने के पीछे कोयला और तेल के रेट में बढ़ोतरी होना बताया है।