सरकार ने आज कहा कि 10 वीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा वैकल्पिक बनाने का शिक्षा की गुणवत्ता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है और अभी दसवीं बोर्ड परीक्षा को फिर से अनिवार्य बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। लोकसभा में पीडी राय और पीपी चौधरी के प्रश्न के लिखित उत्तर में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि साल 2011 में 10 वीं बोर्ड परीक्षा को वैकल्पिक बनाया गया था।
इसके तहत जो छात्र सीबीआईएस प्रणाली को छोड़ना चाहते हैं, वे बोर्ड परीक्षा दे सकते हैं और जो सीबीएसई प्रणाली में बने रहना चाहते हैं, वे स्कूल परीक्षा दे सकते हैं। ईरानी ने कहा कि 2011 में दसवीं बोर्ड को वैकल्पिक बनाने के बाद पहला बैच 2013 में 12 वीं में उपस्थित हुआ।
2013 में 12 वीं की स्कूल आधारित परीक्षा देनेवाले 82.10 फीसद छात्र उत्तीर्ण हुए थे। जबकि 2011 में जिन छात्रों ने 10 वीं कक्षा में बोर्ड परीक्षा का चयन किया 2013 में उनमें से 82.12 फीसद विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए थे। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि दसवीं बोर्ड परीक्षा को वैकल्पिक बनने से शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है। ईरानी के मुताबिक अभी भी दसवीं बोर्ड परीक्षा को फिर से अनिवार्य बनाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।