Sambhal Violence News: संभल की शाही जामा मस्जिद की जगह पर हरिहर या शिव मंदिर होने के दावे के बाद कई लोग इतिहास के पन्ने पलट रहे हैं। वे इस बात की खोज कर रहे हैं कि आखिर इस दावे में कोई दम है या फिर ये दावा यूं ही कर दिया गया है?
बताना होगा कि संभल की एक जिला अदालत के आदेश के बाद शाही जामा मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया गया है। सर्वे करने के लिए जब वहां टीम पहुंची तो इसके विरोध में पत्थरबाजी हुई और इसके बाद हिंसा भड़क गई और चार लोगों की मौत हो गई।
मस्जिद की जगह पर मंदिर होने के दावे को लेकर जब द इंडियन एक्सप्रेस ने संभल में कई लोगों से बात की तो बहुत सारी चौंकाने वाली और अहम बातें सामने आई। संभल शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर कैला देवी मंदिर है। इस मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी से जब द इंडियन एक्सप्रेस ने बात की तो उन्होंने इन लाइनों के साथ अपनी बात शुरू की। “पांच सदी से जमा रक्त जब शोले बन कर खौलेगा, बाबर भी तब कब्र से उठ कर हरिहर, हरिहर बोलेगा।” इसका हिंदी में सीधा मतलब है…पांच शताब्दियों से चुप लोग जब आवाज उठाएंगे तो बाबर भी अपनी कब्र से उठेगा और ‘हरिहर, हरिहर’ का जाप करेगा।
महंत ऋषिराज गिरी के अधिकतर अनुयायी यादव समुदाय से हैं। वे महंत की इस बात पर हां में सिर हिलाकर समर्थन करते हैं।

महंत ने दी थी हरिशंकर जैन को किताब
संभल जामा मस्जिद मामले में अदालत में याचिका दायर करने वाले हरिशंकर जैन के मुताबिक, महंत ने उनसे एक साल पहले संपर्क किया था और उन्हें बताया था कि जिस जगह पर आज मस्जिद है, वहां पहले हरिहर मंदिर हुआ करता था। हरिशंकर जैन का कहना है कि महंत ने उन्हें कुछ किताबें दी थी और इसके बाद जब उन्होंने खुद भी रिसर्च की तो उन्हें काफी सुबूत मिले और इसके आधार पर ही उन्होंने याचिका दायर की है।
यह बेहद दिलचस्प बात है कि महंत गिरी ज्ञानवापी मस्जिद, काशी विश्वनाथ मंदिर मामले में अदालत में दायर की गई याचिकाओं में भी शामिल हैं। महंत बताते हैं कि उन्होंने मस्जिद बनाने के लिए ध्वस्त किए गए सभी मंदिरों को वापस लेने की कसम खाई है। हरिशंकर जैन के बेटे विष्णु शंकर जैन इन सभी मामलों में हिंदू पक्ष के वकील हैं। वह संभल शाही जामा मस्जिद का मुकदमा भी लड़ रहे हैं।
…चाय वाला देखा है, गाय वाला नहीं
इस मंदिर में पूजा करने के अलावा महंत अंतर्राष्ट्रीय हरिहर सेना नाम का संगठन भी चलाते हैं। वह बताते हैं कि उनका यह संगठन पिछले 5 साल से हिंदू स्वाभिमान को जगाने के लिए काम कर रहा है। महंत दावा करते हैं कि हिंदू जल्द ही संभल की शाही मस्जिद के अंदर पूजा करना शुरू कर देंगे और यह मामला बुलेट ट्रेन की रफ्तार से भी तेजी से आगे बढ़ेगा। महंत कहते हैं कि इन्होंने अभी तक चाय वाला देखा है, गाय वाला नहीं।
संभल का यह मामला सोशल मीडिया पर भी तमाम चर्चाओं को जन्म दे रहा है और इसमें इतिहास की कई पुरानी बातें सामने आती हैं। ऐसा ही एक 1878 का मामला और 1976 में हुई हत्या की बात सामने आती है क्योंकि जैसे-जैसे यह पूरा विवाद बढ़ रहा है हिंदू और मुस्लिम समुदायों के लोग अपनी-अपनी बातों को सामने रख रहे हैं।

पवित्र कुआं और पूजा करने का दावा
संभल शहर में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोग कहते हैं कि वह हमेशा से ही इस मस्जिद को हरिहर मंदिर कहते आए हैं। वे लोग बताते हैं कि उनके पूर्वज भी उन्हें बताते थे कि इस जगह एक मंदिर था। इस मस्जिद के आसपास रहने वाले हिंदू समुदाय के कई बुजुर्गों का कहना है कि वह बचपन में यहां आते थे और यहां गुंबद के नीचे एक जंजीर थी और उसमें एक घंटी भी लगी हुई थी। वे इस बात का भी दावा करते हैं कि जामा मस्जिद के प्रवेश द्वार के पास एक पवित्र कुआं है और हिंदू कुछ दशक पहले ही वहां पूजा किया करते थे।
मुस्लिम समुदाय के लोग इस बात को मानते हैं कि हिंदू इसे हरिहर मंदिर कहते हैं और इसके पीछे वजह यह है कि मस्जिद के आसपास के इलाके में पुराने समय में एक मंदिर था लेकिन यह इस मस्जिद की जगह पर नहीं था। हालांकि इसके बाद भी यहां पर रहने वाले हिंदू और मुस्लिम समुदायों के लोग मिलजुल कर रहते हैं और हिंदू कई बार मस्जिद के वजूखाने से अपने लिए पानी लेकर आते हैं।
मुरादाबाद कोर्ट में दायर किया था मुकदमा
संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर पहली बार विवाद अदालत में तब आया था जब 1878 में छेदा सिंह नाम के शख्स ने मुरादाबाद कोर्ट में मुकदमा दायर किया था। मुस्लिम समुदाय के लोग बताते हैं कि इस मुकदमे को खारिज कर दिया गया था और जिला प्रशासन ने भी इस बात की पुष्टि की है। इसके बाद यहां लंबे वक्त तक शांति बनी रही लेकिन 1976 में मस्जिद के मौलाना की हिंदू समुदाय के शख्स ने हत्या कर दी थी तो यहां दंगे फसाद हुए थे और एक महीने तक कर्फ्यू लगा था।
इसके बाद से ही यहां मस्जिद के प्रवेश द्वार पर एक पुलिस चौकी बनी हुई है और धीरे-धीरे यहां पर हिंदुओं ने आना बंद कर दिया। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि हिंदुओं के यहां आने पर कोई रोक नहीं है।
जल नहीं चढ़ाने देता प्रशासन
पिछले कुछ सालों में हिंदूवादी संगठनों ने मस्जिद को लेकर अपना दावा जोर-शोर से शुरू कर दिया। संभल में विश्व हिंदू परिषद के प्रभारी अमित वार्ष्णेय ने बताया कि हर साल सावन के महीने में मुरादाबाद से हिंदुओं का एक जत्था मस्जिद में भगवान शिव (विहिप के दावे के मुताबिक) को जल चढ़ाने जाता है लेकिन प्रशासन उन्हें ऐसा करने से रोक देता है।
संभल हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है। क्या करेगा यह आयोग पढ़िए इस खबर में।