देश का कोचिंग हब के रूप में विख्यात राजस्थान का कोटा शहर इन दिनों अप्रिय घटनाओं के लिए चर्चा में है। देश के विभिन्न हिस्सों से छात्र-छात्राएं मेडिकल, इंजीनियरिंग और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए कोटा पहुंचते हैं। हाल ही में एक के बाद एक कई छात्रों के खुदकुशी करके जान दे देने से परिजन गंभीर रूप से परेशान हैं। गुरुवार को कोटा में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहे एक और छात्र ने खुदकुशी कर ली। साल भर में अब तक 17 छात्रों की मौत हो चुकी है।

यूपी के रामपुर निवासी छात्र कर रहा था NEET की तैयारी

उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले का निवासी मनजोत छाबड़ा कुछ महीने पहले कोटा आया था। वह मेडिकल प्रवेश परीक्षा NEET की तैयारी के लिए कोटा के एक कोचिंग सेंटर में दाखिला लिया था। गुरुवार सुबह हॉस्टल के एक कमरे में वह मृत मिला।

एक महीने पहले भी एक छात्र ने की थी खुदकुशी

इससे पहले जुलाई में 17 वर्षीय जेईई छात्र ने कथित तौर पर फांसी लगाकर जान दे दी थी। वह छात्र भी उत्तर प्रदेश के रामपुर का निवासी था और दो महीने पहले ही कोटा की एक कोचिंग में दाखिला लिया था। 11वीं कक्षा में पढ़ने वाला छात्र इंजीनियरिंग की संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) की तैयारी करने के लिए कोचिंग कर रहा था।

महावीर नगर सर्कल इंस्पेक्टर परमजीत पटेल ने मीडिया को बताया कि छात्र पिछले 3-4 दिनों से कथित तौर पर अपनी कोचिंग कक्षाओं से अनुपस्थित था। उसके एक दोस्त ने उसका शव पंखे से लटका देखा और केयरटेकर को सूचित किया। पटेल ने बताया कि सूचना मिलने पर पुलिस छात्रावास पहुंची और अंदर से बंद कमरे को तोड़कर शव बरामद किया।

एक के बाद एक छात्रों के इस तरह से खुदकुशी करने के पीछे मानसिक दबाव को वजह बताया जा रहा है। कोटा में तैयारी कर रहे कई छात्रों ने मीडिया को बताया कि घरों से दूर हॉस्टल और किराये के घरों में रहकर कई-कई घंटों की कड़ी मेहनत के बाद भी टेस्ट में वे सफल नहीं हो रहे हैं। इससे उन पर मानसिक दबाव पड़ रहा है। कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे बच्चों पर टॉप-20 में आने का दबाव रहता है। ऐसा नहीं होने पर वे बेचैन और विचलित हो जाते हैं। कई छात्र निराशा में इतना ज्यादा डूब जाते हैं कि वे जान दे देते हैं।