उत्तर प्रदेश पुलिस ने निलंबित आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के खिलाफ फोन पर धमकी देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करने की अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी है कि जांच में आरोपों की पुष्टि नहीं हुई है। बहरहाल, ठाकुर ने पुलिस के निर्णय से असहमति जताते हुए इस प्रकरण को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) की अदालत में ले जाने की बात कही है।

हजरतगंज कोतवाली के इंस्पेक्टर विजय मल सिंह यादव ने इस संबंध में 17 जुलाई की तारीख में ठाकुर को भेजे पत्र में कहा है कि उन्होंने 11 जुलाई को सपा मुखिया के खिलाफ कथित रूप से दस जुलाई की शाम 16.43 बजे टेलीफोन पर धमकी देने के बारे जो शिकायत की थी। उसकी जांच करायी गयी, मगर प्रार्थनापत्र में अंकित आरोप की पुष्टि नहीं हुई। अत: प्रार्थनापत्र निस्तारित किया जाता है।

हजरतगंज थाने के सिपाही ने यह पत्र कल 23 जुलाई को ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर को उनके घर पर प्राप्त कराया है। ठाकुर ने इस जांच पर पूर्ण असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि इसमें आरोपो की पुष्टि नहीं होने का कोई कारण नहीं बताया गया है और सतही तौर पर निर्ष्कष निकाल लिया गया है, जो स्पष्टयता दबाव में की गयी कार्यवाही लगती है।

ठाकुर ने अब इस प्रकरण में सीजेएम की अदालत में जाने का एलान करते हुए बताया है कि 11 जुलाई को हजरतगंज कोतवाली में प्रार्थनापत्र देने के बाद 22 जुलाई को उन्होंने इस संबंध में लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत आवेदन किया था।

एसएसपी को दिये प्रार्थनापत्र में ठाकुर ने कहा था कि टेलीफोन पर मुलायम ने जो भी कहा वह निश्चित रूप से आपराधिक दृष्टि से धमकी का मामला है और जोकि एक संज्ञेय अपराध है और इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज किया जाना आवश्यक है।

गौरतलब है कि इस प्रकरण के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने 13 जुलाई को ठाकुर को अनुशासनहीनता एवं स्वैच्छाचारिता जैसे आरोप लगाते हुए निलंबित कर दिया था और 200 पन्नों के आरोप पत्र में निलंबन के पीछे कई अन्य कारण भी बताये गये थे।

ठाकुर ने मुलायम सिंह की तरफ से आये फोन पर हुई बातचीत की सीडी सार्वजनिक कर दी थी, जिसके बाद उनके खिलाफ गाजियाबाद की एक महिला की तहरीर पर बलात्कार का मामला दर्ज कर लिया गया था।