साल 2015 में उत्तर प्रदेश के डीजीपी अरविंद कुमार जैन को राज्य की खूफिया एजेंसी और मथुरा पुलिस से जवाहर बाग को लेकर एक रिपोर्ट प्राप्त हुई थी। इस रिपोर्ट में जवाहर बाग के गैरकानूनी रूप से हथियाने और सत्याग्रहियों के अपराधिक कामों में शामिल होने की सूचना भी दी गई थी। रिपोर्ट में गैरकानूनी हथियार और गोला बारूद के जमा करने की भी बात कही गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया था कि सत्याग्रहियों का सरकार पर विश्वास नहीं है और वे छिपकर हथियार बना रहे हैं। इस बात के भी इनपुट थे कि प्रदर्शनकारियों के नक्सलियों से भी संबंध हैं। प्रदर्शनकारियों के लिए अनाज मध्य प्रदेश की अनजान जगह से ट्रक में आता था। ऐसी रिपोर्ट मिलने के बावजूद उच्च अधिकारियों ने सत्याग्रहियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया बल्कि उन्होंने हाई कोर्ट जाने का फैसला लिया और जमीन खाली करवाने के आदेश का इंतजार करते रहे।
Read A;so: मथुरा हिंसा: एसपी-दरोगा समेत 24 लोगों की मौत, देखें संघर्ष के बाद की EXCLUSIVE PHOTOS
अब रिटायर्ड हो चुके डीजीपी एक के जैन से इस विषय में बात की गई तो उन्होंने इस रिपोर्ट के मिलने की बात की पुष्टि करते हुए कहा कि, “यह 2015 की शुरुआत की बात है जब मुझे जवाहर बाग की स्थिति की जानकारी हुई। मुझे बताया गया है कि स्थिति काफी खराब है। बड़ी संख्या में अासमाजिक तत्व वहां इक्ट्ठे हो चुके हैं और भारी मात्रा में हथियार इकट्ठे किए जा रहे हैं। लेकिन बाद में यह निर्णय लिया गया कि जगह खाली कराने के लिए पहले कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जाएगा।”
31 जनवरी 2015 से लेकर 30 जून तक जैन उत्तर प्रदेश पुलिस में डीजीपी के पद पर थे। पुलिस को इस बात की भी खूफिया जानकारी थी विभिन्न राज्यों जैसे बिहार, छ्त्तीसगढ़ और झारखंड से आए ये लोग अपनी अलग स्वतंत्र सरकार चलने में विश्वास रखते थे। कई लोग देर रात एसयूवी में प्रदर्शनकारियों से मिलने आते थे। इनमें ज्यादातर वाहनों पर दूसरे राज्यों की नंबर प्लेट होती थी। उन्होंने एक बार मथुरा शहर के हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट की बिल्डिंग भी कब्जाने की कोशिश की थी। इस बात की जानकारी थी कि 2000 प्रदर्शनकारी तेज धारदार हथियारों के साथ यहां रह रहे हैं। उन्होंने वहां कई जगह पक्की इमारत भी खड़ी कर ली थी। दूसरे राज्यों से देसी कट्टा और बम बनाने के लिए लोग बुलाए गए थे।
Read Also:मथुरा: अतिक्रमण हटाने पहुंचीं पुलिस पर हमला, एसपी सहित दो पुलिसकर्मियों की मौत, कुल 24 मरे
पूर्व डीजीपी जैन ने कहा, ” कल (गुरूवार) बेहद कमजोर ऑपरेशन किया गया जिस कारण दो बहादुर पुलिस ऑफिसर को अपनी जान देनी पड़ी और कई लोग घायल हो गए। ये ऑपरेशन जल्दी सुबह करना चाहिए था और सीनियर अधिकारियों को मौके पर जाना चाहिए था। केंद्रिय और अर्द्धसैनिक बल को ऐसे ऑपरेशन में साथ भेजना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा की सरकार को एक करोड़ रुपए मदद के तौर पर परिवार को देने चाहिए। साथ ही सर्विस रहने तक पेंशन और शहीद की पत्नी को ऑएसडी के पद पर तैनाती भी मिलनी चाहिए।