Manish Sahu, Apurva Vishwanath
साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार विकास दुबे एनकाउंटर की जांच कराएगी, जिसने मध्य प्रदेश से कानपुर लाए जाने के दौरान रास्ते में भागने की कोशिश की और पुलिस कार्रवाई में मारा गया। रिकॉर्ड के अनुसार, विकास दुबे 119वां आरोपी है, जो योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से पुलिस की जवाबी कार्रवाई में मारा गया है।
बता दें कि एनकाउंटर के इन मामलों में से 74 केस की जांच पूरी हो चुकी है। जिनमें से सभी में पुलिस को क्लीन चिट मिल चुकी है। वहीं 61 केस में तो पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट भी दाखिल कर दी है, जिसे कोर्ट ने भी मंजूर कर लिया है। रिकॉर्ड के अनुसार, अब तक पुलिस ने 6145 ऑपरेशन किए हैं, जिनमें से 119 आरोपी की मौत हुई है और 2258 आरोपी घायल हुए हैं।
इन ऑपरेशंस में 13 पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं, जिनमें से 8 पुलिसकर्मी बीते हफ्ते कानपुर केस में ही शहीद हुए हैं। वहीं 885 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। तय कानूनी प्रक्रिया होने के बावजूद एनकाउंटर किलिंग में नियमों की अवहेलना जारी है। बीते साल दिसंबर में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज वीएन सिरपरकुर के नेतृत्व में तेलंगाना गैंगरेप आरोपियों के एनकाउंटर की स्वतंत्र जांच के निर्देश दिए थे। ऐसा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और तेलंगाना हाईकोर्ट के सामने मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2019 में यूपी में हो रहे एनकाउंटर्स मामले पर भी दखल दिया है और इसे बहुत गंभीर मामला बताया है। 1000 से ज्यादा एनकाउंटर और उनमें 50 से ज्यादा लोगों की मौत के मामलों में कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी उत्तर प्रदेश सरकार को 2017 से लेकर अब तक कम से कम तीन नोटिस जारी कर एनकाउंटर्स पर जवाब मांगा है। राज्य सरकार ने भी सभी नोटिस में एक ही जवाब भेजा है, जिसके बाद से केस आगे नहीं बढ़ सके हैं। एनकाउंटर मामलों की जांच में अक्सर देरी होती है और राज्य सरकार भी पुलिस के खिलाफ की गई किसी भी कार्रवाई की निंदा करती हैं।
बीते साल मार्च में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगायी थी। दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने फर्जी एनकाउंटर के मामले में सेशल कोर्ट द्वारा 11 पुलिसकर्मियों को दोषी ठहराने के बाद सजा दी गई थी लेकिन राज्य सरकार ने पुलिसकर्मियों की इस सजा को बर्खास्त कर दिया था। जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी।