2008 में दिल्ली में हुए बाटला हाउस एनकाउंटर में मारे गए इंडियन मुजाहिद्दीन के दो संदिग्ध आतंकियों से लिंक जुड़ने के बाद यूपी के आजमगढ़ जिले का संजरपुर गांव सुर्खियों में आ गया था। इस इनकाउंटर के दौरान इसी गांव के एक शख्स को गिरफ्तार भी किया गया था। अब इसी गांव के लोगों ने लखनऊ के उस वकील को सम्मानित किया है, जिसने आतंक से जुड़े मामलों में यहां के दस लड़कों को बरी कराया है। मोहम्मद शोएब को जब सम्मानित किया गया कार्यक्रम में इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकियों के घरवालों के अलावा आसपास के गांववाले भी मौजूद थे।
फरार चल रहे इंडियन मुजाहिद्दीन के संदिग्ध आतंकी अबू राशिद के बड़े भाई अबू साद ने कहा, ”कई सालों से हम मोहम्मद शोएब के बारे में सुन रहे थे। वे आतंक के आरोपों में फंसाए गए युवाओं का केस लड़ रहे हैं। हम उनकी सेवाओं के लिए उन्हें सलाम करते हैं।” बता दें कि बाटला हाउस उनकाउंटर के दौरान गिरफ्तार किए गए मोहम्मद सैफ, उसका भाई डॉक्टर शाहनवाज, मोहम्मद आरिफ, सलमान, मोहम्मद साजिद उर्फ साजिद बड़ा, मोहम्मद खालिद, अबू राशिद और मोहम्मद राशिद ये सभी फरार चल रहे हैं। ये सभी संजरपुर गांव के ही रहने वाले हैं। मोहम्मद सैफ और डॉ शाहनवाज के पिता शादाब अहमद उर्फ मिस्टर ने वकील मोहम्मद शोएब को प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया। इंटेलिजेंस एजेंसियों का मानना है साजिद बड़ा इस्लामिक स्टेट के लिए लड़ते हुए सीरिया में मारा जा चुका है। साजिद के बड़े भाई शाकिर ने कहा, ”मैं कार्यक्रम में इसलिए गया था ताकि अच्छा काम कर रहे मोहम्मद शोएब को बधाई दे सकूं। खुद पर हो रहे हमलों के बावजूद वे आतंक के केसों में घिरे लोगों के मामले लड़ रहे हैं।”
कौन हैं वकील मोहम्मद शोएब?
वकील मोहम्मद शोएब ने जिन दस लोगों को आतंक के आरोपों से बरी कराया है, उनके नाम हैं-जलालुद्दीन उर्फ बाबू भाई, शेख मुख्तार हुसैन, मोहम्मद अली अकबर हुसैन, अजीज उर रहमान, नूर इस्लाम, याकूब, नौशाद, कलीम अख्तर, गुलजार अहमद वानी और मोहम्मद इकबाल। 23 नवंबर 2007 को विभिन्न अदालतों में हुए धमाकों के मामले में गिरफ्तार किए गए तारिक काजमी, मोहम्मद अख्तर और सज्जादुर रहमान के भी वकील मोहम्मद शोएब ही हैं। 23 नवंबर के धमाकों के बाद बार असोसिएशन ने वकीलों से कहा था कि वे आतंक से जुड़े मामलों को न लें। वकील शोएब का कहना है, ”आतंक से जुड़े मामलों की पैरवी में काफी ऊंच-नीच का सामना करना पड़ा। मुझे इस तरह के केस लड़ने के लिए वकीलों ने पीटा। हालांकि, मेरा हमेशा से कहना है कि साबित न हो जाने तक हर शख्स निर्दोष है। मेरे अधिकतर मुवक्किल गरीब हैं। मैं सिर्फ कोर्ट की प्रक्रिया में होने वाले खर्च का पैसा ही उनसे लेता हूं।”