उत्तरप्रदेश सरकार ने प्रशासनिक स्तर पर बड़ा फेरबदल किया है। इस फेरबदल में लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच कर रहे DIG उपेंद्र अग्रवाल का भी तबादला कर दिया गया है। उन्हें पुलिस हेडक्वार्टर के डीआईजी से हटाकर गोंडा के देवीपाटन रेंज के डीआईजी की जिम्मेदारी दी गई है।
उपेंद्र अग्रवाल का तबादला किए जाने के बाद यह साफ नहीं किया गया है कि लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच के लिए बनी एसआईटी की अध्यक्षता कौन करेंगे। बता दें कि पिछले 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के बाद डीजीपी मुकुल गोयल ने नौ सदस्यीय निगरानी समिति का गठन किया था। इस समिति का अध्यक्ष डीजीपी मुख्यालय में तैनात डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल को बनाया गया था।
लखीमपुर मामले में मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के रसूख के बावजूद भी उपेन्द्र अग्रवाल दबाव में नहीं आए थे। उपेंद्र अग्रवाल के अध्यक्षता में बनी कमेटी ने आशीष मिश्रा से काफी देर तक पूछताछ की थी। इसके बाद राज्य मंत्री के बेटे को जेल भेज दिया गया था। उस दौरान उपेंद्र अग्रवाल ने कहा था कि जांच में सहयोग न करने और सवालों के सही जवाब न देने के कारण आशीष को गिरफ्तार किया गया और जेल भेज दिया गया।
उपेंद्र अग्रवाल की गिनती तेजतर्रार अफसरों में होती है। आईपीएस उपेंद्र अग्रवाल बंगाल के चर्चित शारदा चिटफंड घोटाले की जांच करने वाली टीम का भी हिस्सा रहे हैं। उपेंद्र अग्रवाल के साथ ही पांच और वरीय आईपीएस अधिकारियों का तबादला किया गया है। इनमें 2003 बैच के राकेश सिंह को डीआईजी पद से आईजी पद पर प्रमोट कर प्रयागराज ज़ोन का जिम्मा दिया गया है। इसके अलावा आईजी कानून-व्यवस्था राजेश मोदक को आईजी बस्ती बनाया गया है।
इसके अलावा आईपीएस केपी सिंह को प्रयागराज ज़ोन के आईजी से हटाकर अयोध्या में तैनाती दी गई है। वहीं अयोध्या आईजी आईपीएस संजीव गुप्ता को आईजी लॉ एंड आर्डर बनाया गया है। जबकि बस्ती आईजी अनिल कुमार राय को पीएसी सेन्ट्रल जोन का आईजी बनाया गया है। कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग के आदेश बाद इन अफसरों का तबादला किया गया है।