यूनिफॉर्म सिविल कोड एक बार फिर देश में चर्चा का विषय बन गया है। 22वें विधि आयोग ने UCC पर जनता से एक महीने में सुझाव मांगे हैं, उनकी राय जानना चाहा है। इससे पहले भी ये प्रक्रिया हो चुकी है, लेकिन तब कहा गया था कि देश को यूसीसी की जरूरत नहीं। लेकिन अब चुनावी मौसम है, 2024 का लोकसभा चुनाव सिर्फ एक साल दूर है। ऐसे में यूनिफॉर्म सिविल कोड का फिर जिक्र होने लगा है, राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर चर्चा चल रही है। अब नाम तो ये कई बार आ गया, लेकिन इसका मतलब क्या होता है, इसके मायने क्या है, इस पर राजनीति क्या है, इसका इतिहास क्या है। आइए सिलसिलेवार तरीके से हर सवाल का जवाब जानते हैं
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
यूनिफॉर्म सिविल कोड को हिंदी में समान नागरिक संहिता कानून कहते हैं। अपने नाम के मुताबिक अगर ये किसी भी देश में लागू हो जाए तो उस स्थिति में सभी के लिए समान कानून रहेंगे। अभी भारत में जितने धर्म, उनके उतने कानून रहते हैं। कई ऐसे कानून हैं जो सिर्फ मुस्लिम समुदाय पर लागू होते हैं, ऐसे ही हिंदुओं के भी कुछ कानून चलते हैं। लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड के आने से ये सब खत्म हो जाता है, जाति-धर्म से ऊपर उठकर सभी के लिए समान कानून बन जाता है।
इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि जैसे अभी तलाक, जमीन जायदाद को लेकर अलग-अलग कानून चलते हैं, धर्मों के हिसाब से भी ये बदलते रहते हैं, लेकिन यूसीसी के आने से ये सब नहीं होगा। संविधान के अनुच्छेद 144 में यूसीसी को लेकर बताया गया है। कहा गया है कि सभी के लिए समान कानून लागू होना चाहिए। लेकिन बड़ी बात ये है कि वर्तमान में संविधान में इसका जिक्र जरूर किया गया है, लेकिन सिर्फ एक गाइडलाइन की तरह है, इसे जरूरी नहीं माना गया है।
भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने से क्या बदलेगा?
इसका उत्तर बिल्कुल सरल है, अगर भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाता है तो हर धर्म-मजहब के लिए एक समान कानून लागू हो जाएंगे। कानून में एक शब्द का कई बार इस्तेमाल होता है- पर्सनल लॉ। पर्सनल लॉ वो होते हैं जिन्हें धर्म, जाति, विश्वास के आधार पर तैयार किया जाता है। शादी, तलाक, एडोप्शन, फैमिली प्रॉपर्टी, वसीहत जैसे जितने भी मामले होते हैं, ये सब अभी तक पर्सनल लॉ के अंदर ही आते हैं। अगर मुस्लिम समाज में बात करें तो वहां जैसे अभी तीन शादियां, तीन तलाक जैसी नियम चलते हैं, यूनिफॉर्म सिविल कोड आने से ये सब भी बदल जाएगा। फिर शादियों में भी एक ही कानून चलेगा।
इसी तरह हिंदू पर्सनल लॉ वेद, उपनिशयद के आधार पर काम करते हैं, समानता, न्याय भी इसके अहम स्तंभ रहते हैं। लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड आने से यहां भी बड़ा परिवर्तन होगा और अभी तक हिंदुओं की जो कुछ अलग परंपराएं चल रही थीं, वो रुक जाएंगी। अभी वर्तमान में मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय के लिए पर्सनल लॉ आता है, वहीं हिंदू, जैन, सिख के लिए हिंदू लॉ चलता है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड के पक्ष-विपक्ष में क्या तर्क?
यूनिफॉर्म सिविल कोड के समर्थन में एक बात हमेशा कही जाती है कि इससे लैंगिक समानता बढ़ जाएगी, धर्म के नाम पर जो अभी भेदभाव होता है, वो भी कम होगा। इसके अलावा अभी जो हजारों कानून चल रहे हैं, वो भी काफी कम हो जाएंगे जिससे न्याय प्राणली में भी एक सरलता आएगी। लेकिन इसी के उलट कुछ बुद्धिजीवी मानते हैं कि यूसीसी लागू होने से धार्मिक स्वतंत्रता भी खत्म हो जाती है। तर्क दिया जाता है कि संविधान ने ही धार्मिक स्वंत्रता भी दी है, ऐसे में यूसीसी लागू नहीं हो सकता।
यूनिफॉर्म सिविल कोड का क्या इतिहास?
यूनिफॉर्म सिविल कोड का इतिहास आजाद भारत से भी पहले का है। ये बात 1835 की है जब अंग्रेजों ने ही माना था कि भारत को यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरूरत है। उसने तब एक रिपोर्ट दी थी जिसमें कहा गया कि जुर्म, सबूत, कॉन्ट्रैक्ट जैसे मामलों में समान कानून रहना चाहिए, लेकिन हिंदू और मुस्लिम के जो पर्सनल लॉ हैं, उन्हें ना छेड़ा जाए। अब जानकार मानते हैं कि अंग्रेसों को क्योंकि हमेशा से ही भारत को बांटने में मजा आता था, इसी वजह से तब पर्सनल लॉ को एकदम अलग रखा गए और यूनिफॉर्म सिविल कोड वाली रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में चली गई।
बीजेपी के लिए क्यों जरूरी यूनिफॉर्म सिविल कोड?
बीजेपी पिछले कई सालों से अपने घोषणा पत्र में यूनिफॉर्म सिविल कोड के वादे को शामिल कर रही है। उत्तराखंड, गुजरात जैसे राज्यों में तो इसे लेकर रूपरेखा बनाने का काम भी शुरू हो चुका है। यहां ये समझना जरूरी है कि बीजेपी की सियासत में यूसीसी पूरी तरह फिट बैठता है। इसका एक कारण तो ये इस तरह से पार्टी काफी आसानी से हिंदुओं का ध्रुवीकरण कर सकती है। इसके अलावा पार्टी ने जिस तरह से मुस्लिम महिलाओं के लिए ट्रिपल तलाक का विरोध किया है, यूसीसी के आने से एक नया वोटबैंक तैयार हो सकता है।
किन देशों में लागू है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की, इंडोनेशिया, सूडान और इजिप्ट जैसे देशों में कई साल पहले ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर दिया गया है। बड़े देशों की बात करें तो अमेरिका में भी एक समान कानून सभी के लिए चलता है। उनका धर्मर्निपेक्ष कानून सभी पर समान रूप से लागू रहता है। इस्लामिक देशों में भी शरिया कानून समान रूप से सभी पर लागू रहता है, फिर चाहे उनका कोई भी धर्म क्यों ना रहे, ऐसे में उसे भी यूसीसी माना जा सकता है।