संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने सुधार पर जोर दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने 78वें सेशन की अनौपचारिक बैठक में कहा कि यहां तत्काल सुधारों की जरूरत है। रुचिरा कंबोज ने कहा कि एक चौथाई सदी बीत चुकी है और दुनिया अब कितना इंतजार करें? उन्होंने कहा कि दुनिया और हमारी आने वाली पीढ़ियां और इंतजार नहीं करती कर सकती।
संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ पर सुधारों को पेश करना चाहिए- भारत
रुचिरा कंबोज ने कहा कि अगले साल संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ है। ऐसे में इन मौके पर जरूरी सुधारों को पेश किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अफ्रीका सहित भावी पीढ़ी की आवाज पर ध्यान देते हुए सुधारों को आगे बढ़ना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो हम परिषद को गुमनामी के रास्ते पर भेज देंगे।
वीटो पावर को लेकर भी रुचिरा कंबोज ने बड़ी बात कही। उन्होंने कहा कि वीटो पावर को काउंसिल के निर्णय की प्रक्रिया में बाधा नहीं बनना चाहिए। साथ ही नए स्थायी सदस्यों की समीक्षा के दौरान निर्णय होने तक वीटो का इस्तेमाल भी नहीं होना चाहिए। रुचिरा कंबोज ने अपने संबोधन में उन खास समूहों या देशों की पहचान करने का सुझाव दिया जो सुधार प्रक्रिया में विशेष ध्यान देने की जरूरत महसूस करते हैं।
ब्रिटेन ने किया भारत का समर्थन
भारत में ब्रिटेन का साथ भी मिला है। ब्रिटेन ने X पर पोस्ट कर भारत के सुझावों का समर्थन किया है। ब्रिटेन ने X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि सुरक्षा परिषद को आज की दुनिया का अधिक प्रतिनिधि होना चाहिए। उसने कहा कि हम इसके विस्तार का समर्थन करते हैं और एक अधिक विविध, प्रभावी परिषद देखना चाहते हैं। ब्रिटेन ने कहा कि G4 देशों (ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान) के पास स्थायी सीटें होनी चाहिए और उनके लिए स्थायी प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
एस. जयशंकर भी कर चुके हैं सुधारों की वकालत
इससे पहले रायसीना डायलॉग समिट में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था अगर जी-20 का विस्तार किया जा सकता है तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता भी बढ़ाई जा सकती है।