संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nation Development Programme (UNDP)) की एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में पिछले 10 सालों के दौरान 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठे हैं। खास बात ये है कि इस मामले में भारत ने काफी अच्छा काम किया है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अभी भी 36 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। ऐसे में गरीबों की संख्या दुनियाभर में सबसे ज्यादा भारत में ही है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ग्लोबल MPI 2018 में इस बात का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2005-06 से लेकर साल 2015-16 के दौरान 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए। रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2005 से पहले देश में 63 करोड़ से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे थे, जो कि कुल जनसंख्या का 55 प्रतिशत के लगभग था। पिछले 10 सालों के दौरान इस आंकड़े में 55 प्रतिशत से घटकर 28 प्रतिशत की शानदार गिरावट देखी गई है।
Global MPI 2018 रिपोर्ट में गरीबी मापने के लिए 10 पैमाने तय किए गए हैं, जो व्यक्ति इनमें से 3 या उससे ज्यादा को पूरा नहीं करता है, उसे गरीब माना गया है। एमपीआई रिपोर्ट के अनुसार, भारत में गरीबी बच्चों, एसटी और मुस्लिम जनसंख्या में तेजी से कम हुई है। बच्चों की बात करें तो देश में 2005 से पहले 29 करोड़ से ज्यादा बच्चे गरीब थे, वहीं 2015-16 में यह आंकड़ा घटकर 15 करोड़ के करीब पहुंच गया है। वहीं मुस्लिमों की कुल जनसंख्या के 60 प्रतिशत लोग साल 2005 से पहले गरीब थे, वहीं 2015-16 में यह आंकड़ा घटकर 31 प्रतिशत पर आ गया है। वहीं एसटी की स्थिति तो और भी खराब थी और 2005-06 में देश में 80 प्रतिशत एसटी लोग गरीब थे। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015-16 में यह आंकड़ा घटकर 50 प्रतिशत पर आ गया है।
देश में सबसे ज्यादा गरीब लोग 4 राज्यों बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में रहते हैं। इन चारों राज्यों में 19 करोड़ से ज्यादा गरीब हैं, जो कि देश के कुल गरीबों की संख्या का आधा है। गरीबी हटाने के मामले में झारखंड ने उल्लेखनीय प्रगति की है, उसके बाद अरुणाचल प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ और नागालैंड का नंबर आता है। केरल में गरीबों की संख्या सबसे कम है और राज्य के 92 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से ऊपर हैं। रिपोर्ट के अनसुार, दुनियाभर में सबसे ज्यादा गरीब लोग अफ्रीका के सहारा और दक्षिण एशिया में रहते हैं।

