जेल में बंद ‘यूनिटेक’ के पूर्व प्रमोटर अजय चंद्रा और संजय चंद्रा को गलत तरीके से मदद पहुंचाने के आरोप में दिल्ली कारागार विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। बता दें कि कारागार विभाग ने तिहाड़ जेल के 30 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है और दो संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। इसमें दिल्ली सरकार द्वारा भी दो अधिकारियों को निलंबित किया जाएगा।
गौरतलब है कि, दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने ‘यूनिटेक’ के पूर्व प्रमोटरों के साथ मिलीभगत को देखते हुए मंगलवार को दिल्ली कारागार विभाग ने 32 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया था। इसमें भ्रष्टाचार रोधी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत जांच शुरू की गई।
दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने 28 सितंबर को एक रिपोर्ट दी थी, जिसके आधार पर उच्चतम न्यायालय ने छह अक्टूबर को निर्देश दिए थे कि, तिहाड़ जेल के छह अधिकारियों को निलंबित कर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाये। इसके अलावा उच्चतम न्यायालय ने इन अधिकारियों की संजय तथा अजय चंद्रा के साथ मिलीभगत की पूर्ण जांच करने के निर्देश दिए थे।
अधिकारियों की मिलीभगत से जेल से ही चला रहे थे कारोबार: इससे पहले शीर्ष अदालत ने अपने निर्देश में कहा कि तिहाड़ जेल के अधिकारी, जो प्रथम दृष्टया जांच के दौरान संलिप्त पाए गए हैं, उन्हें जांच तक निलंबित किया जाना चाहिए। अदालत ने अस्थाना की रिपोर्ट में दिए गए सुझावों पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय को जवाब देने का निर्देश दिया है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद चंद्रा बंधुओं को तिहाड़ जेल से मुंबई की आर्थर रोड जेल और तलोजा सेंट्रल जेल भेज दिया गया है। जानकारी के मुताबिक अधिकारियों की मिलीभगत से इन लोगों ने जेल में ही ऑफिस खोल लिया और वहीं से अपना व्यापार चला रहे थे।
इन्हें किया गया सस्पेंड: जिन दो कर्मचारियों को टर्मिनेट किया गया है, उनमें एक डेटा एंट्री ऑपरेटर और दूसरा नर्सिंग ऑर्डली शामिल है। बाकी अन्य में 30 जेल स्टाफ हैं। जिसमें एक सुपरिटेंडेंट, एक डिप्टी सुपरिटेंडेंट, 7 असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट, 10 हेड वॉर्डर और 11 वॉर्डर पर कार्रवाई की गई है। जेल में इस तरह की बड़ी कार्रवाई पहली बार सामने आई है। बता दें कि अगस्त 2017 से जेल में बंद संजय और अजय पर आरोप है कि उन्होंने घर खरीदारों का पैसा कथित रूप से गबन किया है।