केन्द्र की मोदी सरकार ने हाल ही में गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने संबंधी बिल पेश किया था। सरकार के इस बिल को लोकसभा और राज्यसभा से मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते ही यह बिल कानून का रुप ले लेगा। बता दें कि इस बिल के अनुसार, सामान्य वर्ग के जिन लोगों की सालाना आय 8 लाख रुपए तक है या किसी के पास 5 एकड़ तक जमीन है, वो लोग सामान्य वर्ग में आरक्षण पाने के पात्र होंगे। लेकिन 8 लाख रुपए तक की सालाना आय को बहुत ज्यादा माना जा रहा है, जिस पर लोगों ने सवाल भी उठाए हैं। अब सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा है कि ‘सामान्य वर्ग में आरक्षण के लिए आय की तय सीमा नहीं अंतिम नहीं है और अभी इसमें बदलाव हो सकते हैं। बिल में अभी तक आय की सीमा या जमीन को लेकर कोई संदर्भ नहीं दिया गया है’
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, जब गहलोत से पूछा गया कि क्या 8 लाख रुपए तक की आय सीमा कुछ ज्यादा नहीं है? तो इसके जवाब में गहलोत ने कहा कि ‘8 लाख रुपए सालाना आय और 5 एकड़ जमीन और ऐसे ही कुछ अन्य मानदंड अभी विचाराधीन हैं। ये अंतिम नहीं है। ये थोड़ा बहुत कम-ज्यादा हो सकता है।’ ऐसी खबरें हैं कि मंत्रालय करीब एक हफ्ते में सामान्य वर्ग को आरक्षण संबंधी नियम बना सकता है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने राज्यों से भी कहा है कि वह अपना खुद का मानदंड बना सकते हैं। चूंकि सामान्य वर्ग को नौकरी और शिक्षा में आरक्षण मिलेगा और ये दोनों ही विभाग राज्य सरकार के अधिकार में आते हैं। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि ‘वक्त के साथ हम देखेंगे की राज्य किस तरह से नियम बनाते हैं। उन पर भी विचार किया जा सकता है।’
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8 लाख रुपए सालना आय वाले मानदंड के समर्थन में केन्द्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि ओबीसी की क्रीमी लेयर के लिए भी यही मानदंड तय है, इसलिए सामान्य वर्ग के लिए भी यही मानदंड तय किया गया है। केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि मंत्रालय आय सीमा तय करते वक्त आय के मौजूदा इंडीकेटर्स और गरीबी के आंकड़ों पर गौर करेगा। 2011 की जनगणना में गैर-आरक्षिण श्रेणी की जनसंख्या को लेकर विस्तृत आंकड़े दिए गए हैं। इन पर गौर करने के बाद ही कोई फैसला किया जाएगा।

