Shivraj Singh Chauhan: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का बहुत बड़ा मुद्दा बने सिंधु जल समझौते को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बड़ा बयान दिया है। शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा, “हमसे एक ऐतिहासिक गलती हुई थी…सिंधु जल संधि, यह 1960 में हुई थी। यह हमारे देश का, हमारे किसानों का दुर्भाग्य था कि हमारे देश से बहने वाली नदियों का 80% पानी पाकिस्तान को दे दिया गया।”

ऑपरेशन सिंदूर से पहले भारत ने एयर स्पेस बंद करने, पाकिस्तान से आयात पर पूरी तरह रोक लगाने जैसे अहम कदम उठाए थे लेकिन सबसे अहम कदम सिंधु जल समझौते को स्थगित करना था। भारत की ओर से सिंधु जल समझौते को स्थगित किए जाने से पाकिस्तान बुरी तरह बौखला गया था और उसके नेताओं ने बेहद गैर जिम्मेदाराना और अनाप-शनाप बयान दिए थे।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल समझौते पर कार्रवाई की गई है और हम शॉर्ट, मिड टर्म और लॉन्ग टर्म पर ऐसी प्लानिंग करेंगे कि सिंधु नदी के पानी की एक-एक बूंद का भारत के किसानों के लिए बेहतर उपयोग हो सके। उन्होंने कहा कि इसलिए यह फैसला किसानों के हित में है।

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किसानों को सिंचाई का अतिरिक्त पानी मिलेगा

बीजेपी के बहुत अनुभवी नेता और कई सालों तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सिंधु जल समझौते पर रोक या संशोधन के फैसले से भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश के किसानों को सिंचाई का अतिरिक्त पानी मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का फैसला ऐतिहासिक है और देश और किसानों के हित में है।

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क्या है सिंधु जल समझौता?

19 सितंबर, 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच Indus Waters Treaty पर हस्ताक्षर हुए थे। इस समझौते के अनुसार, भारत का पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलुज पर नियंत्रण है जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब से पानी मिलता है।

Indus Waters Treaty सिंधु नदी के सिस्टम और उसकी सहायक नदियों से पानी के इस्तेमाल और उसके बंटवारे का प्रबंधन करता है। यह पाकिस्तान के लोगों के लिए पानी की जरूरत और खेती के लिए बेहद जरूरी है। सिंधु नदी के नेटवर्क में झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज नदियां शामिल हैं।

पाकिस्तान को मिलता है 80% पानी

Indus Waters Treaty से पाकिस्तान को ज्यादा फायदा होता है क्योंकि उसे इन नदियों के कुल पानी का लगभग 80% मिलता है और यह पाकिस्तान में खेती के लिए बहुत अहम है, खासकर पंजाब और सिंध प्रांत में। पाकिस्तान सिंचाई, खेती और पीने के पानी के लिए काफी हद तक इसी संधि से मिलने वाले पानी पर निर्भर है।

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