केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान, अमूमन हर साल नववर्ष के मौके पर अपने निर्वाचन क्षेत्र में समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं को सामान्य डाक से हजारों ग्रीटिंग कार्ड भेजते हैं और उन्हें नए साल की शुभकामनाएं देते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने कार्ड नहीं भेजने का फैसला किया है। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित ‘डेल्ही कॉन्फिडेंशियल’ के मुताबिक सूत्रों ने बताया है कि डाक शुल्क में बढ़ोत्तरी और समय की कमी की वजह से इस बार ग्रीटिंग कार्ड नहीं भेजे गए हैं।
हालांकि, केंद्रीय मंत्री ने पोस्ट ऑफिस की जगह नया तरीका ईजाद किया है। इसके तहत केंद्रीय मंत्री के नई दिल्ली स्थित आवास से हजारों कार्ड बिहार की राजधानी पटना ले जाने के लिए एक व्यक्ति प्रतिनियुक्त किया गया है। पटना में पार्टी दफ्तर से पार्टी कार्यकर्ता उन कार्ड्स को गंतव्य तक पहुंचाएंगे। हालांकि, यह फैसला बहुत सोच- विचार कर लिया गया है, बावजूद इसके सवाल उठाए जा रहे हैं कि इस नई व्यवस्था से क्या पैसे बचेंगे या वास्तव में अधिक खर्च होगा?
दरअसल, इस साल बिहार में विधान सभा चुनाव होने हैं। ऐसे में पार्टी नेता न्यू ईयर ग्रीटिंग कार्ड के जरिए उनतक पहुंच बनाने की अपनी दशकों पुरानी रवायत को न सिर्फ जारी रखना चाहते हैं बल्कि उनतक संदेशवाहक भेजकर एक नई परंपरा की शुरुआत करना चाहते हैं। ताकि पार्टी कार्यकर्ता खुद को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से खुद को जुड़े होने का अहसास करते रहें और पार्टी के लिए नई ऊर्जा से काम करते रहें। रामविलास पासवान ने पार्टी और ‘दलित सेना’ नाम के संगठन की बदौलत बिहार में एक खास जनसमुदाय पर बड़ी पकड़ बना रखी है, जो उन्हें कई बार सत्ता की चाबी थमाता रहा है।
हाल ही में पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी छोड़ी है। अब उनकी जगह उनके सांसद बेटे चिराग पासवान पार्टी के अध्यक्ष हैं। इससे पहले चिराग पार्टी संसदीय दल के नेता थे। रामविलास पासवान ने चुनावी राजनीति से भी लगभग खुद को किनारा कर लिया है। 2019 में उन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था। इसकी जगह वो राज्यसभा से निर्वाचित होकर संसद पहुंचे हैं। वो मोदी सरकार के कार्यकाल-एक से ही केंद्र में मंत्री हैं। पासवान मनमोहन सिंह सरकार और वाजपेयी सरकार में भी मंत्री थे।
