Kiren Rijiju Supreme Court: केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) को लिखे एक पत्र में कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और हाईकोर्ट के कॉलेजियम में सरकार का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा समय में जजों की नियुक्ति को लेकर जो कॉलेजियम सिस्टम (Collegium System) है, उससे वो संतुष्ट नहीं हैं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर बीते कुछ दिनों में केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच टकराव की स्थिति देखने को मिली है। इस बीच केंद्रीय मंत्री के पत्र पर फिर से चर्चा तेज है। बता दें कि द इंडियन एक्सप्रेस ने उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से कहा कि केंद्रीय मंत्री के पत्र में कहा गया है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में प्रक्रिया को लेकर सुझाव दिया कि इसे कैसे बेहतर किया जा सकता है।
कॉलेजियम सदस्य:
केंद्रीय मंत्री ने अपने पत्र में मांग की कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कॉलेजियम सिस्टम में सरकार का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए। दरअसल अभी मौजूदा सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में भारत के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं। वहीं हाई कोर्ट कॉलेजियम में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और हाई कोर्ट के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं। अहम बात यह है कि कॉलेजियम जिन नामों की सिफारिश देता है वो बाध्यकारी हैं।
हालांकि कॉलेजियम के नामों को लेकर सरकार अपनी चिंताओं को दूर कर सकती है और कॉलेजियम को पुनर्विचार करने के लिए कह सकती है। इसके बाद भी अगर कॉलेजियम अपनी सिफारिशों में बदलाव नहीं करता तो केंद्र को उन्हें मानना होता है।
NJAC में सदस्यों का प्रस्ताव:
दरअसल कॉलेजियम सिस्टम को खत्म करने के लिए लंबे समय से प्रस्ताव चले आ रहे हैं। 2014 में हुए संविधान में 99वें संशोधन के जरिए NJAC सिस्टम को लाने को लेकर सरकार ने एक विधेयक पारित किया था।
NJAC के सदस्यों में सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश, केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री, सिविल सोसायटी के दो प्रतिष्ठित व्यक्ति(जिसमें एक को सीजेआई की एक समिति द्वारा नामित किया जाएगा), प्रधान मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता, और अन्य को अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / अन्य पिछड़ा वर्ग / अल्पसंख्यक समुदायों से सदस्य के शामिल होने का प्रस्ताव था।
हालांकि सरकार की तरफ से आए इस संशोधन को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद रद्द कर दिया गया। जिसके बाद सरकार को कानून को निरस्त करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
NJAC से कितना अलग किरण रिजिजू का सुझाव:
जहां NJAC में लोकसभा विपक्ष नेता, सिविल सोसायटी, अल्पसंख्यक समुदाय से लोग शामिल होने की वकालत थी तो वहीं केंद्रीय मंत्री रिजिज ने अपने नए सुझाव में NJAC से अलग कॉलेजियम में सिर्फ सरकार के प्रतिनिध को शामिल करने की वकालत की है। माना जा रहा है कि उनके सुझाव को अगर अमल में लाया गया तो कॉलेजियम में ही एक सरकारी प्रतिनिधि को रखकर व्यवस्था में बुनियादी बदलाव आ जाएगा। हालांकि केंद्रीय मंत्री के सुझाव से अगर सरकार के प्रतिनिधि को कॉलेजियम में जगह मिलती है तो स्पष्ट नहीं है कि उनके पास क्या विशिष्ट शक्तियां होंगी।
फिलहाल माना जा रहा है कि केवल एक गैर-न्यायिक सदस्य की कॉलेजियम में उपस्थिति से चीजों को बदलने की संभावना है। रिजिजू के मुताबिक जजों की नियुक्ति में सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण थी। क्योंकि जो रिपोर्ट और जानकारी सरकार के पास होती है, वो न्यायाधीशों के पास नहीं होती है।
जजों की नियुक्तियों पर किरण रिजिजू के इस सुझाव से पहले भी मोदी सरकार हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति में सबसे बड़ी भूमिका निभाने वाली NJAC को लेकर वकालत कर चुकी है। नवंबर 2022 में केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने कॉलेजियम सिस्टम पारदर्शी नहीं बताया था।
किरण रिजिजू की ताजा सिफारिश स्पष्ट रूप से अलग है। जोकि जजों की नियुक्तियों को लेकर मौजूदा प्रणाली को बदलने की सिफारिश करता है।