Caste Census Modi Government: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा जाति जनगणना कराए जाने के फैसले के बाद देश की सियासत का माहौल जबरदस्त गर्म है। न सिर्फ विपक्षी दलों ने बल्कि मोदी सरकार की अगुवाई कर रहे एनडीए में भी कई दल ऐसे हैं जो जाति जनगणना कराए जाने की मांग करते रहे हैं। ऐसा ही एक दल अपना दल (सोनेलाल) है।
अपना दल (सोनेलाल) उत्तर प्रदेश में बीजेपी का प्रमुख सहयोगी दल है और इसका तर्क है कि सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को दूर करने के लिए जाति जनगणना जरूरी है। पार्टी की अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने इस मामले में द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत की है।
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क्यों जरूरी है जाति जनगणना?
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि जाति व्यवस्था सदियों पुरानी है और इसके आधार पर भेदभाव हमारे समाज की सच्चाई है। अगर आप चाहते हैं कि देश आगे बढ़े तो हमें सामाजिक असमानताओं को दूर करना होगा और इसके लिए जाति जनगणना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इससे हमें पता चलेगा कि समाज में किद हद तक जाति का वजूद है।
पटेल ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अनुसूचित जातियां (एससी) में बहुत सी जाति और समुदाय हैं जिन्हें अभी मान्यता नहीं मिली। पटेल ने कहा कि ओबीसी हमारी आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा है और गिनती होने पर ही इनकी संख्या के बारे में पता चलेगा।
अनुप्रिया पटेल ने कहा कि हमें नए आंकड़ों की जरूरत है और अपडेटेड आंकड़ों के आधार पर हमारी नीतियां ज्यादा बेहतर होंगी।
अनुप्रिया पटेल ने सवाल उठाया कि कांग्रेस और यूपीए लंबे समय तक सत्ता में रहे, तब उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया? उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी चार बार यूपी की सत्ता में रही, लालू प्रसाद यादव ने बिहार में सरकार चलाई और भी वह यूपीए सरकार का हिस्सा थे और ऐसा कर सकते थे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केवल एक मौका मिला।
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अनुप्रिया पटेल ने कहा कि हम यह नहीं चाहते कि यूपीए की सरकार के दौरान जो गड़बड़ियां हुई, वे हों। उन्होंने कहा, “हम जाति जनगणना करने में 6 दशक नहीं लगाएंगे। एक समय-सीमा है और सरकार ने इसे तैयार कर लिया है, समय आने पर इसका पता चल जाएगा।
फैसले का यूपी चुनाव से कोई संबंध नहीं
इस सवाल के जवाब में कि क्या इसका असर 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा, अनुप्रिया पटेल ने कहा कि सरकार ने चुनाव को ध्यान में रखकर यह फैसला नहीं लिया है। पटेल ने कहा किया कि जब बीजेपी के नेता इस मामले में नहीं बोलते थे तब भी उनकी पार्टी जाति जनगणना का मुद्दा उठाती थी।
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