Astha Saxena
केंद्र सरकार एम्स की फीस बढ़ाने की तैयारी कर रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एम्स, दिल्ली से छात्रों की ट्यूशन फीस की समीक्षा करने को कहा है। इसके साथ ही एम्स के सभी छह संस्थानों के यूनिफॉर्म पेशेंट यूजर्स चार्जेस को तय करने को कहा है।
संस्थान को एक मॉडल रेट चार्ट तैयार करने का भी जिम्मा सौंपा गया है, जिसे पूरे देश के सभी छह एम्स में लागू किया जा सकता है। छह एम्स के सेंट्रल इंस्टीट्यूट बॉडी (CIB) ने एक आदेश में, ट्यूशन चार्ज और यूजर्स चार्ज की समीक्षा का सुझाव दिया है। केंद्र के सभी HoDs और प्रमुखों को 25 नवंबर तक विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
डीन डॉ. वी के बहल, ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मैंने आदेश नहीं देखा है … यह एक आंतरिक समीक्षा है और इसलिए, सभी प्रमुखों को विवरण देने के लिए कहा जाता है। कुछ केंद्रों में यूजर्स चार्ज पहले से ही लागू हैं। प्रशासन ने अपने सभी विभागों, सेक्शंस, विंग्स और फैसिलिटी को एक विशेष प्रारूप में लगाए गए चार्जों का विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा है, जो सेवाओं के विवरण, वर्तमान लागत और उपयोगकर्ता के शुल्क को वर्तमान लागत से कम करने के कारणों का विवरण देता है।
एक कार्यालय ज्ञापन में लिखा है कि भारत सरकार (वित्त और स्वास्थ्य मंत्रालय) ने एम्स संस्थान को सभी शुल्क और यूजर्स चार्ज की समीक्षा करना आवश्यक है। मालूम हो कि एम्स वर्तमान में यूजर्स चार्जेस से 101 करोड़ रुपये प्राप्त करता है। अधिकारियों के अनुसार, 1996 से यूजर्स चार्जेज को संशोधित नहीं किया गया है।
2017 में अस्पताल में यूजर्स चार्जेस की समीक्षा करने के लिए गठित एक आंतरिक समिति ने ऐसे टेस्ट और अन्य प्रोसीजर के लिए पैसा वसूलने की सिफारिश की थी जिनकी लागत 500 रुपये से कम थी। इसने सुझाव दिया था कि नुकसान की भरपाई के लिए एम्स में प्राइवेट वार्ड चार्ज में बढ़ोतरी की जाए।