दिल्ली के महरौली में स्थित कुतुब मीनार को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई कि कुतुब मीनार में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने खुदाई का आदेश दिया है। बता दें कि रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह आदेश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को दिया गया है। हालांकि इस दावे को लेकर अब केंद्रीय संस्कृति मंत्री जीके रेड्डी ने कहा है कि इस तरह का कोई आदेश नहीं दिया गया है।

गौरतलब है कि कुतुब मीनार के परिसर में स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम नामक मस्जिद है। जिसको लेकर अक्सर हिंदूवादी संगठन दावा करते रहे हैं कि यह हिंदू-जैन मंदिरों को तोड़कर बनाया गया है और यह विष्णु स्तंभ है। हिन्दू संगठनों का कहना है कि परिसर में अनेक मूर्तियां विभिन्न स्थानों पर रखी हुई हैं। इन सब दावों के बीच शनिवार को संस्कृति सचिव गोविंद मोहन ने स्मारक का दौरा किया। जिसके बाद से तमाम तरह के कयास लगाए जाने लगे।

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि कुतुब मीनार के दौरे के बाद गोविंद मोहन ने एएसआई को यह पता लगाने के लिए खुदाई करने का आदेश दिया गया है कि कुतुब मीनार कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनाया गया था या चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा। वहीं इस तरह की रिपोर्ट पर मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि ऐसा कोई निर्देश जारी नहीं किया गया है।

खुदाई की खबरों को लेकर केंद्रीय संस्कृति मंत्री जीके रेड्डी ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को कुतुब मीनार परिसर में खुदाई करने के लिए के लिए कोई आदेश नहीं दिया गया है। वहीं मंत्रालय का कहना है कि यह अधिकारियों द्वारा नियमित दौरा था। इस बारे में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। बता दें कि इस संबंध में एएसआई के अधिकारियों ने कोई बयान नहीं दिया।

बता दें कि शनिवार को गोविंद मोहन ने वरिष्ठ अधिकारियों और इतिहासकारों की एक टीम के साथ कुतुब मीनार में दो घंटे से अधिक समय बिताया। जिसमें स्मारकों के रखरखाव से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई। गौरतलब है कि इससे पहले राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को कुतुब मीनार परिसर से दो गणेश मूर्तियों को हटाने के लिए कहा है।

गौरतलब है कि अप्रैल महीने में एनएमए के अध्यक्ष तरुण विजय ने बताया था कि एएसआई को लिखे एक पत्र में कहा गया है कि कुतुब परिसर में ‘मूर्तियों को इस तरह से रखना अपमानजनक’ है। उन्हें राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा जाना चाहिए। बता दें कि कुतुब मीनार को ऐतिहासिक धरोहर का दर्जा दिया गया है। इसकी ऊंचाई 72.5 मीटर है और इसका व्यास 14.32 मीटर है जो शिखर तक पहुंचने पर 2.5 मीटर रह जाता है।