Budget 2020: कहा गया है कि सपने दिखाना और उन्हें हकीकत का जामा पहनाना दो अलग-अलग बातें हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने दूसरे ‘स्वप्नदर्शी’ बजट में सुनहरे भविष्य के राजमार्ग के ख्वाब खूूब दिखाए हैं। लेकिन बजट के साथ ही पूंजी बाजार जिस तरह से हलकान हुआ, उससे साफ है कि अर्थव्यवस्था के सपने हकीकत से कहीं दूर हैं। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए मध्यवर्ग का आसरा है। नए आयकर ढांचों से यह स्पष्ट है। दरों में बदलाव शर्तों के साथ किए गए हैं।
बजट में वित्त मंत्री ने भारत के विशाल मध्य वर्ग पर फोकस किया है। उम्मीद की जा रही है कि करदाताओं की रकम के सहारे भारतीय आर्थिक परिदृश्य में जब हलचल बढ़ेगी तो वह देश की आर्थिक सेहत के लिए अच्छी होगी। लेकिन इस व्यवस्था को वैकल्पिक बनाने का विचार संशय पैदा करता है। मध्य वर्ग के साथ किसान वर्ग आर्थिक और राजनीतिक- दोनों सेहत की बुनियाद माना जाता है। करीब 67 फीसद बाकी पेज 8 पर जनसंख्या अब भी खेती-किसानी पर या तो सीधे या परोक्ष रूप से निर्भर है। लेकिन इस क्षेत्र की देश के सकल घरेलू उत्पाद में करीब 13 फीसद की ही हिस्सेदारी है। जाहिर है कि खेती-किसानी पर दबाव है। मोदी सरकार जब सत्ता में आई थी तो उसने 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने का वादा किया था। आज के बजट में भी इसका एलान किया गया। लेकिन वह लक्ष्य अभी भी हासिल किया जाना बाकी है।
राजस्व और खर्च यानी कमाई और खर्च के बीच का फासला भी आठ लाख करोड़ के बीच रहने का अनुमान है, जिसके चलते सरकार को अगले वित्त वर्ष की समाप्ति के आसपास विभिन्न योजनाओं पर खर्च में भारी कटौती करनी पड़ेगी। रेटिंग एजंसी मूडीज ने तो संकेत दे ही दिए हैं कि सरकार की राजस्व आमदनी लक्ष्य से इतनी कम है कि वह इसे हासिल नहीं कर पाएगी। इसका अर्थ है कि देश पर कर्ज का बोझ बढ़ेगा।
विनिवेश योजना के मोर्चे पर चुनौतियां, लड़खड़ाहट के साथ बाजार ने अपनी शंकाएं जता दी हैं। शेयर बाजार 987.96 अंकों की गिरावट के साथ 39,735.53 पर सिमटा और निफ्टी 318 अंक गिरकर 11643.80 अंकों पर बंद हुआ। बाजार में आयकर के सेक्शन 80 सी के तहत सभी छूट खत्म किए जाने को लेकर निराशा दिखी। सुस्ती झेल रहे आॅटो सेक्टर या रियल एस्टेट सेक्टर के लिए खास एलान नहीं आया। इस बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कर खत्म करने या लॉन्ग टर्म की परिभाषा बदलने का एलान न होने से बाजार निराश हुआ।
बजट एलानों में सरकार ने विनिवेश को लेकर बड़ा लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष 2021 के लिए सरकार ने 2.10 लाख करोड़ रुपए का विनिवेश लक्ष्य रखा है, जिसे काफी ऊंचा लक्ष्य माना जा रहा है। 2019-20 के लिए सरकार ने करीब 1.05 लाख करोड़ का लक्ष्य रखा था, लेकिन उसके हाथ में 20,000 करोड़ भी बमुश्किल आ पाए। मौजूदा वित्त वर्ष खत्म होने में सिर्फ दो महीने बचे हैं, ऐसे में उसे 3.8 फीसद का वित्तीय घाटा बनाए रखने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है।
बजट के बारे में आम धारणा रही है कि इसमें आंकड़ों और तथ्यों के जरिए अगले एक साल के लिए एक स्पष्ट रोडमैप सुझाया जाता है। इसमें जो लक्ष्य रखे जाते हैं, वे भी स्पष्ट होते हैं और इसके लिए कितने पैसे का आबंटन हुआ है, यह भी बिल्कुल स्पष्ट होता है। साथ ही इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए किन योजनाओं का सहारा लिया जाएगा, इसका उल्लेख भी साफ तौर पर होता है, लेकिन बजट में ऐसा कुछ नहीं दिखा।