देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड पर चर्चा तेज हो गई है। कहा जा रहा था कि इस मॉनसून सेशन में यूसीसी बिल पेश किया जा सकता है। लेकिन उस बीच लॉ कमिशन ने बड़ा फैसला लेते हुए सुझावों की डेडलाइन को दो हफ्ते आगे बढ़ा दिया है। तर्क दिया गया है कि कई और लोग सुझाव देना चाहते थे, ऐसे में दो हफ्ते की डेडलाइन बढ़ा दी गई है।
क्यों हो सकती है यूसीसी में देरी?
अब मॉनसून सेशन 20 जुलाई से शुरू होने जा रहा है, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सरकार इसी सत्र में ये बिल पेश कर पाएगी या नहीं? अभी दो हफ्ते की एक्सटेंशन दे दी गई है, यानी कि 28 जुलाई तक तो लोगों की राय ही ली जाएगी। सरकार साफ कर चुकी है कि लोगों की राय लेने के बाद ही ड्राफ्ट पेश किया जाएगा। इसी वजह से संभावना है कि बिल लाने में कुछ देरी हो जाए।
कई पार्टियों की आपत्ति, राह मुश्किल
जानकारी के लिए बता दें कि लॉ कमिशन को अभी तक यूसीसी पर 50 लाख लोगों के सुझाव मिल गए हैं। हार्ड कॉपी के फॉर्म में भी कई लोगों ने अपने सुझाव दिए हैं, ऐसे में असल आंकड़ा और ज्यादा भी हो सकता है। वैसे इस समय कई पार्टियां अगर यूसीसी का समर्थन कर रही हैं, तो उतनी ही संख्या में ऐसी भी पार्टियां मौजूद हैं, जिन्हें ये कानून रास नहीं आ रहा है। फिर चाहे वो जेडीयू हो, टीएमसी हो या फिर ओवैसी की पार्टी। मुस्लिम पर्सनल लॉ ने भी अपनी आपत्ति साफ कर दी है। ऐसे में यूसीसी की राह आसान नहीं रहने वाली है।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
यूनिफॉर्म सिविल कोड को हिंदी में समान नागरिक संहिता कानून कहते हैं। अपने नाम के मुताबिक अगर ये किसी भी देश में लागू हो जाए तो उस स्थिति में सभी के लिए समान कानून रहेंगे। अभी भारत में जितने धर्म, उनके उतने कानून रहते हैं। कई ऐसे कानून हैं जो सिर्फ मुस्लिम समुदाय पर लागू होते हैं, ऐसे ही हिंदुओं के भी कुछ कानून चलते हैं। लेकिन यूनिफॉर्म सिविल कोड के आने से ये सब खत्म हो जाता है, जाति-धर्म से ऊपर उठकर सभी के लिए समान कानून बन जाता है।