जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा यूनिफॉर्म सिविल कोड पर एक बड़े कार्यक्रम को आयोजन करने की तैयारी थी। लेकिन ऐन वक्त पर उस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया। तर्क दिया गया कि चुनावी तारीखों का ऐलान किया जा चुका है, ऐसे में आचार संहिता लग चुकी है और इस प्रकार का कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सकता।

लेकिन बड़ी बात ये है सेना क्योंकि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कोई प्रोग्राम करने जा रही थी, इस पर जमकर सियासत देखने को मिली। उमर अब्दुल्ला से लेकर महबूबा मुफ्ती जैसे कई बड़े नेताओं ने आर्मी का इस प्रकार से किसी सियासी कार्यक्रम से कार्यक्रम से जुड़ना गलत माना।

बताया जा रहा है कि कार्यक्रम के अंदर यूनिफॉर्म सिविल कोड के फायदे, उसको लेकर कुछ चुनौतियां और किस प्रकार से समान अधिकारों को बढ़ावा मिल सकता है, इन तमाम बिंदुओं पर चर्चा की जानी थी। लेकिन बाद में लोकसभा चुनाव का ऐलान हो गया और कश्मीर में ये कार्यक्रम नहीं हो पाया।

इस कार्यक्रम को लेकर नेशनल कांफ्रेंस के नेता और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने कहा था कि क्या भारतीय सेना का इस तरह से यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर किसी कार्यक्रम का आयोजन करना सही है, वो भी कश्मीर जैसे संवेदनशील इलाके में। इसका कुछ कारण होता है कि आखिर क्यों भारतीय सेना को राजनीति से दूर रखा जाता है। वहीं दूसरी तरफ पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने दो टूक कहा है कि भारतीय सेना जो दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर आर्मी है और उसे सबसे अनुशासित भी माना जाता है, लेकिन बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से धर्म के साथ-साथ सेना को भी राजनीति का हथियार बना लिया गया है।

वैसे जानकारी के लिए बता दें कि पिछले कई महीनो से ऐसी चर्चा चल रही है कि मोदी सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू करना चाहती है। बड़ी बात ये है कि उत्तराखंड में तो यूनिफॉर्म सिविल कोड को पुष्कर धामी सरकार ने लागू भी कर दिया है। हिंदू और मुसलमान सभी के लिए समान कानून बन चुके हैं। इसी तरह असम भी यूसीसी की ओर अपने कदम बढ़ा चुका है