सुपरटेक बिल्डर के जुड़वां इमारत ध्वस्त होने के बीच एनसीआर में बिल्डर की अन्य परियोजनाओं में निवेश करने वाले खरीदारों के मन में घबराहट का माहौल है। इमारत ध्वस्त होने से असल में सजा किसे मिली और सालों पहले बुक कराए उनके फ्लैट का कब्जा कब मिलेगा? इसको लेकर उनके मन में बेचैनी है।
गुरुग्राम निवासी अरुण मिश्रा का कहना है कि वे रविवार को टेलीविजन पर सुपरटेक के टावरों का ध्वस्तीकरण देखकर मायूस महसूस कर रहे हैं। उन्होंने गुरुग्राम के बाहरी इलाके में सुपरटेक हिल टाउन परियोजना में 2015 में फ्लैट बुक कराया था। उन्हें 2018 तक कब्जा देने का दावा किया गया था और वे अभी तक उसका इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सिर्फ अवैध टावर गिराना काफी है, बिल्डर को जेल क्यों नहीं भेजा गया? खरीदारों ने अपनी मेहनत की कमाई से घर का सपना देखा, बदले में उन्हें मानसिक तनाव और रकम वापसी का अंतहीन इंतजार मिला। कम से कम इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रकम वापसी का आदेश दिया है लेकिन अन्य ऐसी परियोजनाएं, जहां बिल्डर ने गड़बड़ियां की हैं, उनके लिए कोई न्याय नहीं है।
गुरुग्राम में सुपरटेक के अजलिया परियोजना में फ्लैट बुक कराने वाले सनी सिंह का कहना है कि बिल्डर की कंपनी की हालत पहले से पतली है। कंपनी ने टावर गिराने और उसमें फ्लैट बुक कराने वालों को भुगतान के लिए कहां से रकम हासिल की। जाहिर है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पूरा करने के लिए अन्य परियोजनाओं के धन को इधर- उधर किया जाएगा। जिससे उन जैसे बहुत से लोगों को ना तो फ्लैट मिलेंगे और ना ही रकम वापस मिलेगी।
नोएडा के रहने वाले आशीष का कहना है कि टावर ध्वस्त करना पर्याप्त नहीं है। जो लोग 10 साल से फ्लैट मिलने का इंतजार कर रहे हैं, वह आज केवल दर्शक बनकर रह गए हैं। यह बिल्डर को सजा है या खरीदारों को। इससे उन लोगों का क्या होगा, जो अप्रत्यक्ष रूप से इस फैसले से प्रभावित होने वाले हैं।