मुबंई में अरब सागर के बीच शिवाजी मेमोरियल के निर्माण से जुड़े प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कसंल्टेट (पीएमसी) को 9.61 करोड़ रुपये गलत फायदा पहुंचाने का मामला सामने आया है। इतना ही नहीं इस प्रोजेक्ट की डिस्कोपिंग (पूर्व निर्धारित काम में कमी) के कारण सरकारी खजाने पर 20.57 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ भी पड़ा। यह बात कैग ने अपनी रिपोर्ट में कही है। कैग ने अप्रैल से मई 2019 के बीच छत्रपति शिवाजी महाराज मेमोरियल प्रोजक्ट का ऑडिट किया था। इंडियन एक्सप्रेस के पास मौजूद रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने मेसर्स एजिस इंडिया कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड और डिजाइन एसोसिएट्स को मार्च 2016 में 40 महीने (अगस्त 2019 तक) के लिए 94.70 करोड़ रुपये मंजूर किए थे।

हालांकि, फरवरी और मार्च 2017 में काम की धीमी रफ्तार और जटिलताओं को देखते हुए फडणवीस सरकार ने परियोजना की फिर से समीक्षा की और पीएमसी का काम घटा दिया। सरकार के सूत्रों का कहना है कि पीएमसी को इस लिए नियुक्त किया गया था क्योंकि लोक निर्माण विभाग के पास इस तरह के प्रोजेक्ट पर काम करने का अनुभव नहीं था। बाद में पीएमसी के काम में से सर्वे का काम, जांज और टेस्टिंग आदि के काम को हटा दिया गया। इसके अलावा 20.57 करोड़ रुपये में मेसर्स लार्सन एंड टूब्रो को मेमोरियल कॉन्ट्रेक्टर के रूप में शामिल कर लिया गया। फरवरी 2017 में पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर ने पीएमसी को दिए जाने वाले रेम्यूनरेशन 82.46 करोड़ रुपये को संशोधित कर 72.85 करोड़ कर दिया। हालांकि, सरकार ने बिना सोचे समझे 82.46 करोड़ रुपये देना तय कर लिया था।

रिपोर्ट में बताया गया कि इस तरह से पीएमसी को 9.61 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ दिया गया। वहीं सरकारी खजाने पर भी 20.57 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा। रिपोर्ट में पीएमसी के अप्रैल 2016 के काम का जायजा लिया गया और उससे असंतुष्टि जाहिर की गई। इसमें बताया गया कि काम पूरा होने की निर्धारित अवधि पूरी होने के बाद भी पीएमसी ने मई 2019 तक टेंडर से पहले के कामों को भी संतोषजनक ढंग से पूरा नहीं किया। रिपोर्ट में आगे पीएमसी को कॉन्ट्रेक्ट एग्रीमेंट के पेनाल्टी क्लॉज में पीडब्ल्यूडी को नहीं शामिल करने पर भी सवाल खड़े किए। चूंकि काम जल्दी खत्म होने पर फाइनेंसियल इंसेन्टिव देने के प्रावधान होने के साथ ही काम में देरी होने पर जुर्माने का प्रावधान नहीं होने पर भी आपत्ति जाहिर की गई।