कोरोना काल में अपने अस्तित्व को बचाने से जूझ रही भारतीय रेल ने कर्मियों को टीए देने पर यू टर्न लिया है। रेलवे बोर्ड ने सभी जोन और मंडलों को कोरोना के चलते अनावश्यक खर्चों को कम करने का निर्देश दिया है। जयपुर मंडल ने कर्मचारियों को दिए जाने वाले भत्तों को ही इस कैटेगिरी में रख लिया है।

कोरोना के चलते जयपुर में मैकेनिकल विभाग के कैरिज एंड वैगन (सीएंडडब्ल्यू) शाखा के करीब 105 कर्मचारियों को जयपुर में काम नहीं होने के कारण फुलेरा शेड में तैनात किया गया था। सभी को ट्रैवलिंग अलाउंस और महंगाई भत्ता (टीए/डीए) नियमों के मुताबिक देने के लिए कहा गया। छह महीने तक भत्ते नहीं मिले तो रेलवे यूनियनों ने सीनियर डीएमई से भुगतान करने के लिए कहा, लेकिन सीडीओ ने सभी से लिखित में टीए/डीए नहीं लिए जाने के लिए दबाव बनाया। रेलवे ने करीब 105 कर्मचारियों का करीब 28 करोड़ का टीए भुगतान नहीं किया है।

चार्जशीट के डर से सभी ने लिखित में दे दिया कि वो टीए नहीं लेंगे। अगर वो ऐसा नहीं करते तो उन्हें वापस जयपुर नहीं लाया जाता। लेकिन 20 कर्मचारियों ने इसके खिलाफ बिगुल फूंक दिया। उनका कहना है कि टीए का भुगतान उनका अधिकार है। प्रशासन को इसका भुगतान करना होगा।

उधर, जयपुर में 6 टेक्नीशियन और 5 एसएसई की पदोन्नति नहीं की गई। पदोन्नति नहीं किए जाने के कारण टेक्नीशियन के करीब 92 पद खाली हैं। उधर दो कर्मचारियों के दो साल पूरे होने के बाद भी उन्हें पदोन्नत नहीं किया गया। ऐसे में नियमानुसार अगर इन सभी को 30 जून तक पदोन्नत कर दिया जाता, तो इन्हें इंक्रीमेंट मिल जाता। लेकिन अब इन्हें जनवरी में इसका लाभ मिलेगा।

रेलवे ने सोमवार को 5 कर्मचारियों को चार्जशीट भी दे दी है। इसका कारण तकनीकी बताया गया है। लेकिन माना जा रहा है कि टीए मामले पर इन लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। कर्मियों का कहना है कि वो किसी दबाव में अपनी मांगों को वापस नहीं लेंगे। रेलवे प्रशासन दबाव की राजनीति कर रहा है, लेकिन टीए उनका हक है। इसे वो किसी सूरत में नहीं छोड़ेंगे।