कथित अवैध संबंध के आरोप में छह साल पहले जिंदा जला दिए गए दलित शख्‍स के मामले में उना की विशेष अदालत ने गुरुवार (29 नवंबर) को फैसला सुनाया। कोली समुदाय से आने वाले 11 आरोपियों को हत्‍या, आपराधिक साजिश और क्रूरता का दोषी करार दिया गया। सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। एडिशनल सेशन्‍स जज एसएल ठक्‍कर ने साफ किया कि इस मामले में उम्रकैद का मतलब आरोपियों की मृत्‍यु होने तक जेल है। उना तालुका के अनकोलली गांव में 13 सितंबर, 2012 को 27 वर्षीय दलित, लालजी सरवैया की हत्‍या कर दी गई थी। उसे घर के भीतर बंद कर बाहर से ताला लगा दिया गया, फिर पूरे घर को आग के हवाले कर दिया गया था।

पुलिस चार्जशीट के अनुसार, सरवैया के आरोपियों में से एक की बेटी से विवाहेत्‍तर संबंध थे। 11 सितंबर, 2012 को जब लड़की अपने घर से कहीं चली गई तो आरोपी के परिवार को इसके पीछे सरवैया का हाथ होने का शक हुआ। उन्‍होंने सरवैया की हत्‍या की योजना बनाई। एक दिन बाद, 11 लोगों ने सरवैया के घर पर हमला बोला, उसके परिवार को मारा-पीटा। जिस कमरे में सरवैया सो रहा था, उसे बाहर से बंद कर पूरे घर को आग लगा दी। वारदात के बाद सरवैया की पत्‍नी, मां-बाप, चार भाई-बहन गांव छोड़ गए।

आरोपी की बेटी भावनगर के एक शेल्‍टर होम में मिली। उसने पुलिस को बताया कि वह सरवैया से शादी करने के लिए घर से भागी थी। हालांकि ट्रायल के दौरान उसने अपना बयान बदल दिया। अदालत ने मौके पर मौजूद लोगों की गवाही और पीड़‍ित की पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर फैसला सुनाया। अदालत ने हर एक दोषी पर 54,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह पैसा पीड़‍ित के पिता को दिया जाएगा।

मामले में दोषी करार दिए गए सभी आरोपी छह साल से न्‍यायिक हिरासत में हैं। उनकी जमानत याचिकाएं स्‍थानीय अदालत और गुजरात उच्‍च न्‍यायालय से खारिज की जा चुकी हैं। फैसला सुनाए जाने के थोड़ी देर बाद सभी दोषियों को पुलिस ने कस्‍टडी में ले लिया।

जुलाई 2015 में राज्‍य सरकार ने सरवैया के परिवार के 15 सदस्‍यों को विस्‍थातिप घोषित कर उन्‍हें देलवड़ा गांव में बसाने का आदेश दिया था। सरकार ने उन्‍हें खेती के लिए जमीन दी और अन्‍य सुविधाएं दी जा रही हैं। लालजी का परिवार फैसले से संतुष्‍ट दिखा पर यह भी कहा कि अगर समय से मदद मिलती तो घाव जल्‍दी भर जाते।