संसद में पारित संविधान संशोधन के आधार पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने देश के सभी उच्च शैक्षणिक संस्थानों के सभी पाठ्यक्रमों (तकनीकी और गैर तकनीकी) में सत्र 2019-20 से सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को आर्थिक आधार पर 10 फीसद आरक्षण देने का फैसला किया है। इसके मद्देनजर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने दिल्ली विश्वविद्यालय सहित सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों, उनसे संबद्ध कॉलेजों और केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित डीम्ड विश्वविद्यालयों से इस आरक्षण को लागू करने में संभावित धन की आवश्यकता के बारे में पूछा है। यूजीसी के संयुक्त सचिव डॉक्टर जितेंद्र के त्रिपाठी की ओर से सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार और उनसे संबद्ध कॉलेज के प्राचार्यों को एक पत्र भेजा गया है। इसमें सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को आर्थिक आधार पर दाखिलों में 10 फीसद आरक्षण देने के निर्णय को तुरंत लागू करने के लिए कहा गया है।
इसके साथ ही इन विश्वविद्यालयों और कॉलेजों से कहा गया है कि इस बात की सूचना वे अपनी वेबसाइट पर भी जल्द से जल्द प्रदर्शित करने के लिए भी निर्देश करें। इसके अलावा इन सभी से 31 जनवरी तक पाठ्यक्रमानुसार सीटों और कोटे को लागू करने में लगने वाले संभावित धन की जानकारी मांगी गई है। यह पत्र डीयू, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय सहित सभी 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ डीयू के 54 कॉलेजों, बीएसचू के चार कॉलेजों और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के 11 कॉलेज को भी यह निर्देश दिए गए हैं।
इन संस्थानों में लागू नहीं होगा आरक्षण: यह आरक्षण आठ उत्कृष्ट संस्थानों, शोध संस्थानों, राष्ट्रीय और सामरिक महत्त्व के संस्थानों में लागू नहीं होगा। इनमें राष्ट्रीय होमी भाभा संस्थान, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, राष्ट्रीय मस्तिष्क शोध केंद्र, पूर्वोत्तर इंदिरा गांधी क्षेत्रिय स्वास्थ्य एवं चिकित्सकीय संस्थान, जवाहरलाल नेहरू सेंटर फोर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, फिजिकल रिसर्च लैबोरेट्री और इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ रिमोट सेंसिंग शामिल हैं।